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मकर संक्रांति के अलावा तमिलनाडु में खास होता है पोंगल पर्व, जानिए इसकी चार दिन की परंपराएं

तमिलनाडु का प्रमुख त्योहार पोंगल भी नई शुरुआत औऱ नई फसल के आने के साथ मनाया जाता है। इस दिन भगवान सूर्य की पूजा की जाती है वहीं पर यह त्योहार अलग-अलग 4 दिनों के लिए मनाया जाता है।

  • By दीपिका पाल
Updated On: Jan 04, 2025 | 08:09 AM

तमिलनाडु का खास त्योहार पोंगल (सौ.सोशल मीडिया)

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Pongal 2025: नए साल की शुरुआत के साथ ही जनवरी महीने में आने वाले दिनों के दौरान कई व्रत और त्योहार की झड़ी लगने वाली है। यहां पर सबसे पास और खास त्योहार मकर संक्रांति आने वाला है इसके लिए हर कोई घरों में तैयारियां शुरु कर देते है। मकर संक्रांति के अलावा पंजाब में लोहड़ी और गुजरात में उत्तरायण के आसपास तमिलनाडु में पोंगल का पर्व मनाया जाता हैं।

राज्य का प्रमुख त्योहार पोंगल भी नई शुरुआत औऱ नई फसल के आने के साथ मनाया जाता है। इस दिन भगवान सूर्य की पूजा की जाती है वहीं पर यह त्योहार अलग-अलग 4 दिनों के लिए मनाया जाता है।

14 जनवरी से शुरू होता है त्योहार

यहां पर पोंगल त्योहार की बात की जाए तो, यह तमिलनाडु का सबसे खास त्योहार है जिसकी शुरुआत हर साल 14 या 15 जनवरी से होती है जो 4 दिनों तक लगातार चलने के साथ 17 जनवरी को समाप्त हो जाता है। पोंगल त्योहार की बात की जाए तो, तमिल संस्कृति और कृषि परंपराओं का प्रतीक है और इसे बड़ी श्रद्धा और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

जानिए क्या होता है चार दिनों के इस त्योहार में

पोंगल त्योहार की बात की जाए तो, तमिल संस्कृति का यह त्योहार चार दिनों तक लगातार चलता है इसकी ये खास परंपराएं प्रचलित है जो इस प्रकार है…

भोगी पोंगल

सबसे पहले इस पर्व में 14 जनवरी को भोगी पोंगल आता है यहां पर इस दिन लोग पुराने सामान और बेकार चीजों को जलाकर घर की सफाई करते हैं। इस परंपरा को लेकर कहा जाता है कि, यह दिन जीवन में नकारात्मकता को दूर कर नई शुरुआत का प्रतीक माना गया है।

सूर्य पोंगल

यहां पर पोंगल में दूसरे दिन यानि 15 जनवरी को सूर्य़ पोंगल का नाम दिया गया है यानि और खेतों में नई फसल पकाने के लिए खीर जैसी मिठाई (पोंगल) बनाई जाती है। यह चार दिनों में सबसे मुख्य दिन होता है और इसे धूमधाम से मनाया जाता है।

मट्टू पोंगल

चार दिनों के इस पोंगल पर्व में 16 जनवरी को पोंगल पर्व का तीसरा दिन मनाया जा रहा है। इस खास दिन मवेशियों को समर्पित होता है। इस दिन गायों और बैलों को सजाया जाता है, उनकी पूजा की जाती है और उन्हें विशेष भोजन खिलाया जाता है। यहां पर इस त्योहार को मनाने के पीछे यह किसानों के जीवन में पशुओं के महत्व को दर्शाता है।

कानूम पोंगल

पोंगल पर्व का आखिरी दिवस 17 जनवरी को कानूम पोंगल के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने रिश्तेदारों से मिलते हैं और पिकनिक या सामाजिक समारोहों का आयोजन करते हैं। इसे परिवार और समुदाय के साथ समय बिताने का दिन माना जाता है।

क्यों मनाते हैं पोंगल

यहां पर पोंगल की खासियत की बात की जाए तो, इसका संबंध नई फसल के आने से है यानि इसे नई फसल के आगमन और कृषि समृद्धि का प्रतीक है। यह किसानों के लिए महत्वपूर्ण त्योहार है क्योंकि वे अपनी मेहनत का फल प्राप्त करते हैं। इसके अलावा इस पर्व की बात की जाए तो इसमें सूर्य देव, वर्षा और भूमि के प्रति आभार प्रकट करने का अवसर मिलता है।

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इस त्योहार को साथ मिलकर परिवार के सभी लोग मनाते है इतना ही नहीं घर को रंगोली से सजाया जाता है। नए चावल से बना पोंगल की मिठाई भगवान सूर्य को भोग के रूप में देते है। खेतों में नई फसल को काटकर उसका आभार व्यक्त किया जाता है। यह त्योहार एक तरह से आपसी प्रेम और सद्भावना प्रकट करने के लिए मनाया जाता है।

Know the four day traditions of tamil nadus special pongal festival

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Published On: Jan 04, 2025 | 08:09 AM

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