खरना का क्या है महत्व (सौ.सोशल मीडिया)
Chhath Puja Kharna Kab Hai: हर साल छठ पूजा का महापर्व पूरे देश भर बड़े ही श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है। खासतौर पर, यह पर्व बिहार, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ हिस्सों मनाया जाता है। छठ पूजा का महापर्व आज से शुरू हो गया है।
आज छठ पूजा का पहला दिन है। आज नहाय-खाय है और कल छठ के दूसरे दिन है जिसे खरना कहा जाता है। ये कल मनाया जाने वाला है। खरना के दिन गुड़ की खीर और रोटी का प्रसाद बनाए जाने की परंपरा है।
आपको बता दें, ये प्रसाद मिट्टी के चूल्हे पर ही बनाया जाता है। इतना ही नहीं प्रसाद बनाने के लिए चूल्हे में लगाने के लिए सिर्फ आम की लकड़ी का उपयोग किया जाता है। किसी अन्य लकड़ी से यह प्रसाद नहीं बनाया जाता, लेकिन ऐसा करने के पीछे की वजह क्या है? ऐसे में आइए जानते हैं इसके पीछे की परंपरा और धार्मिक कारण।
छठ का दूसरा दिन, यानी खरना के दिन का खास महत्व धर्म शास्त्रों में बताया गया है। खरना का अर्थ होता है। ‘शुद्धता’। खरने के दौरान व्रतियों के द्वारा स्वच्छता और पवित्रता का पूरा ध्यान रखा जाता है।
अगर मान्यताओं की बात करें तो, खरने के दिन छठी मैया घर में प्रवेश करती है। खरना का दिन पूर्ण रूप से भक्ति और समर्पण का माना जाता है। इस दिन सूर्य देव और छठी मैया का आशीर्वाद मिलता है।
खरना की शाम मिट्टी का चूल्हा बनाया जाता है। इस चूल्हे में आम की लकड़ियां उपयोग की जाती है। हिन्दू धर्म में आम की लकड़ी को शुद्ध और सात्विक मानी जाती है।
मान्यता है कि आम की लकड़ी छठी मैया को बहुत प्रिय है, इसलिए छठ के अवसर पर प्रसाद बनाने के लिए आम की लकड़ियों का उपयोग होता है। इस लकड़ी से प्रसाद बानने पर घर में सकारात्मक उर्जा आती है।
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