दुर्गा सप्तशती पाठ के नियम (सो.सोशल मीडिया)
Durga Saptashati Ka Path:मां दुर्गा की आराधना का महापर्व शारदीय नवरात्रि हिंदु श्रद्धालुओं के लिए बड़ा महत्व रखता है। नवरात्रि के नौ दिनों तक मां दुर्गा की विशेष रूप से पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है। वहीं, इस दौरान माता के भक्त माता रानी को प्रसन्न करने लिए ‘दुर्गा सप्तशती’ का पाठ भी करते हैं।
कहा जाता है कि, नवरात्रि में ‘दुर्गा सप्तशती’ का पाठ करने से किसी भी तरह के अनिष्ट का नाश हो जाता है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है। ‘दुर्गा सप्तशती’ सब तरह की चिंताओं, क्लेश, शत्रु बाधा से मुक्ति दिलाती है। लेकिन इसके शुभ फल प्राप्त करने के लिए इसका पाठ सही तरीके से करना बहुत जरूरी है। ऐसे में आइए जानते हैं ‘दुर्गा सप्तशती’ का पाठ करने का सही तरीका और नियम के बारे –
‘दुर्गा सप्तशती’ पाठ में इन बातों का रखें ध्यान
1. जब भी आप ‘दुर्गा सप्तशती’ का पाठ करें तो इस बात का ध्यान रखें कि पुस्तक को किसी चौकी जिसे हम व्यासपीठ भी कहते हैं या फिर लाल रंग के वस्त्र के ऊपर रखें। धार्मिक मान्यता के अनुसार हाथ में सप्तशती की पुस्तक लेकर पाठ करने से अधूरे फल की प्राप्ति होती है।
2 . ‘दुर्गा सप्तशती’ पाठ के नियम के तहत जब भी आप ‘दुर्गा सप्तशती’ का पाठ करें तो पाठ बीच में छोड़कर न उठें। इसके साथ ही पाठ को कहीं भी न रोकें। यदि आप सम्पूर्ण पाठ करते हैं तो चतुर्थ अध्याय पूरा होने के बाद विराम ले सकते हैं।
3 . ‘दुर्गा सप्तशती’ का पाठ करते समय शब्दों का उच्चारण स्पष्ट और लय में होना चाहिए। पाठ की गति न ही बहुत तेज हो और न ही बहुत धीमी।
4 . जब भी आप ‘दुर्गा सप्तशती’ का पाठ आरंभ करें तो सबसे पहले पुस्तक को हाथ जोड़कर प्रणाम करें। उसके बाद माता रानी का ध्यान करें और फिर पाठ करना आरंभ करें।
5 . ‘दुर्गा सप्तशती’ का पाठ आरंभ करने से पहले ध्यान रखें कि आप जिस भी आसन पर विराजमान हो रहे हैं, बैठने से पहले उसका शुद्धिकरण करें। इस बात का भी ध्यान रखें कि बैठने वाला आसन या तो लाल रंग का हो या कुश का।