प्रतिकात्मक तस्वीर (सौजन्य सोशल मीडिया)
31 जुलाई, बुधवार को सावन महीने की एकादशी यानी ‘कामिका एकादशी’ का व्रत रखा जाएगा। शास्त्रों के अनुसार, कामिका एकादशी के दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा का विधान है। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त इस दिन कठिन व्रत का पालन करते हैं और विधि अनुसार पूजा-अर्चना करते हैं उन्हें सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
कहा जाता है कि सावन महीने के कृष्ण पक्ष में आने वाली इस एकादशी पर भगवान विष्णु को तुलसी पत्र चढ़ाने से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं। इसके अलावा, इस दिन तीर्थ स्नान और दान से कई गुना पुण्य फल मिलता है। ऐसे में आइए जानें कामिका एकादशी व्रत करने से मिलने वाले पुण्यों के बारे में तथा इस दिन किए गये स्नान-दान के महत्व के बारे में….
ज्योतिषियों के अनुसार, महाभारत और भविष्य पुराण में बताया गया है कि सावन महीने के दौरान भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। इसके अलावा, विष्णुधर्मोत्तर पुराण में भी जिक्र है कि सावन महीने में भगवान विष्णु की पूजा और व्रत-उपवास से मिलने वाला पुण्य कभी खत्म नहीं होता है। पंचामृत और शंख में दूध भरकर भगवान विष्णु का अभिषेक करने से जाने-अनजाने में हुए हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं।
सावन महीने में भगवान नारायण की पूजा करने वालों से देवता, गंधर्व और सूर्य आदि सब पूजित हो जाते हैं। एकादशी के दिन स्नानादि से पवित्र होने के बाद पूजा का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद भगवान विष्णु की मूर्ति की पूजा करना चाहिए। भगवान विष्णु को फूल, फल, तिल, दूध, पंचामृत और अन्य सामग्री चढ़ाकर आठों प्रहर निर्जल रहना चाहिए, यानी पूरे दिन बिना पानी पीए विष्णु जी के नाम का स्मरण करना चाहिए। एकादशी व्रत में ब्राह्मण भोजन एवं दक्षिणा का भी बहुत महत्व है। इस प्रकार जो यह व्रत रखता है उसकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
भीष्म पितामह ने बताया कि पूरे साल भगवान विष्णु की पूजा न कर सकें तो कामिका एकादशी का उपवास करना चाहिए। इससे बछड़े सहित गौ-दान करने जितना पुण्य मिल जाता है। सावन महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा और उपवास करने से सभी देवता, नाग, किन्नर और पितरों की पूजा हो जाती है। जिससे हर तरह के रोग, शोक, दोष और पाप खत्म हो जाते हैं।
इस व्रत के बारे में स्वयं भगवान ने कहा है कि मनुष्यों को अध्यात्म विद्या से जो फायदा मिलता है, उससे ज्यादा फल कामिका एकादशी का व्रत करने से मिल जाता है। इस दिन व्रत करने से मनुष्य को यमराज के दर्शन नहीं होते हैं। बल्कि स्वर्ग मिलता है। जिससे नरक के कष्ट नहीं भोगने पड़ते।
धार्मिक मान्यता है कि इस दिन रात में जागरण और दीप-दान करने से जो पुण्य मिलता है, उसको लिखने में चित्रगुप्त भी असमर्थ हैं। एकादशी को भगवान विष्णु के सामने घी या तिल के तेल का दीपक जलाना चाहिए। जो ऐसे दीपक लगाता है उसे सूर्य लोक में भी हजारों दीपकों का प्रकाश मिलता है। ऐसे लोगों के पितरों को स्वर्ग में अमृत मिलता है।
लेखिका- सीमा कुमारी