भीष्म पंचक कितने दिनों का, जानिए कब से कब तक
Bhishma Panchak Vrat Vidhi: हिंदू धर्म में कार्तिक का महीना बहुत ही शुभ एवं पावन महीना होता है। इस महीने में कई तरह के व्रत और त्योहार मनाए जाते है। इन्हीं व्रत में भीष्म पंचक का व्रत भी है। भगवान भीष्म पितामह को समर्पित भीष्म पंचक का व्रत हिंदू धर्म में खास महत्व रखता है।
ये व्रत कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की देवउठनी एकादशी तिथि से शुरू होता है और पूर्णिमा तिथि के दिन समाप्त होता है। ऐसे में इस साल भीष्म पंचक का व्रत 12 नवंबर 2024 से शुरू होकर और 15 नवंबर तक चलेगा।
आपको जानकारी के लिए बता दें, भीष्म पंचक व्रत का पालन पूरे पांच दिनों तक किया जाता है। इस व्रत के दौरान अनाज का सेवन नहीं करना चाहिए। इस समय में पितामह भीष्म को याद करके किया जाता है। इस व्रत को करने से संतान की सेहत अच्छी रहती है और साधक को भी मोक्ष की प्राप्ति होती है। ऐसे में आइए जानते हैं इस व्रत की पूजा विधि और महत्व –
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पूजा-विधि
प्रबोधनी एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
इसके बाद चौकी पर भगवान कृष्ण का चित्र और संभव हो तो भीष्म पितमाह की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
इसके बाद व्रत का संकल्प लें अब दीवार पर मिट्टी से सर्वतोभद्र की वेदी बनाकर कलश की स्थापना करें।
अब भगवान कृष्ण और भीष्म पितामह को चंदन लगाएं और फल-फूल अर्पित करें।
इसके बाद दीप जलाएं। यह दीप अखंड ज्योति का होना चाहिए जो पांच दिन तक जलना चाहिए।
पांचवे दिन यानी कार्तिक पूर्णिमा की तिथि पर हवन करें। भीष्म पंचक व्रत समस्त प्रकार के सुख भोग और आध्यात्मिक, आत्मिक उन्नति के लिए किया जाता है। इस व्रत को रखने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होने की मान्यता है।
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जानिए भीष्म पंचक व्रत का धार्मिक महत्व
हिन्दू धर्म में भीष्म पंचक व्रत बहुत ही मंगलकारी और पुण्यदायक माना जाता है। यह व्रत हर साल कार्तिक मास में रखा जाता है। यह व्रत न केवल पूर्व में किए गए पाप कर्मों से मुक्ति दिलाता है, बल्कि कल्याणकारी भी होता है। कहा जाता है कि जो भी भक्त इस व्रत को श्रद्धापूर्वक करता है, उसे मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो भी साधक इस व्रत को करता है वह सदा स्वस्थ रहता है और प्रभु की कृपा उस पर सदैव बनी रहती है।