मां सरस्वती, (सौ.सोशल मीडिया)
Basant Panchami 2025: बसंत पंचमी हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है। बसंत पंचमी का पर्व मुख्य रूप से भारत के पूर्वी हिस्सों में, विशेषकर पश्चिम बंगाल और बिहार में बहुत ही धूमधाम एवं हर्षोल्लास से मनाया जाता है। वहीं, उत्तर भारत में यह पतंगों के त्योहार के रूप में मनाया जाता है।
यह वसंत ऋतु की शुरुआत का प्रतीक भी है। यह त्योहार माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को पड़ता है। इस साल बसंत पंचमी का पर्व 2 फरवरी 2025 को मनाया जाएगा। इस दिन को लेकर कई सारी मान्यता है। तो आइए उनके बारे में विस्तार से जानते हैं –
कैसे हुई बसंत पंचमी की शुरुआत
पौराणिक मान्यता है कि सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा जी ने जब जीवों और मनुष्यों की रचना तब संसार में चारों ओर सुनसान दृश्य था, संसार निर्जन ही दिखाई दिया। वातावरण बिल्कुल शांत था, कोई वाणी नहीं थी।
ब्रह्मा जी ने कमंडल से पृथ्वी पर जल छिड़का। पृथ्वी पर कंपन होने लगा और एक अद्भुत शक्ति के रूप में चतुर्भुजी सुंदर स्त्री प्रकट हुई। जिनके हाथ में वीणा, माला और पुस्तक थी। मां सरस्वती ने अपनी वीणा से वसंत राग छेड़ा।
इसके फलस्वरूप सृष्टि को वाणी और संगीत की प्राप्ति हुई। देवी ने वाणी के साथ-साथ विद्या और बुद्धी दी, जिससे संसार को ज्ञान का प्रकाश मिला। जिस दिन देवी सरस्वती प्रकट हुई उस दिन माघ शुक्ल पंचमी तिथि थी, इसलिए बसंत पंचमी के दिन घर में मां सरस्वती की विशेष पूजा की जाती है।
विद्यार्थियों के लिए बड़ा महत्व रखता है बसंत पंचमी
आपको बता दें, बसंत पंचमी का पर्व स्कूल, कॉलेज, शैक्षणिक संस्थानों में भी मनाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जो जातक इस अवसर पर माता सरस्वती की पूजा सच्ची भक्ति के साथ करते हैं उन्हें मां बुद्धि, विद्या और ज्ञान प्रदान करती हैं, क्योंकि वे ज्ञान की स्वामिनी हैं।
इस पर्व पर छात्र और शिक्षक नए कपड़े पहनते हैं और ज्ञान की देवी की विशेष पूजा करते हैं। साथ ही देवी को प्रसन्न करने के लिए गीत और नृत्य आदि का आयोजन करते हैं।
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मां सरस्वती स्तुति
सरस्वतीं शारदां च कौमारी ब्रह्मचारिणीम्।
वागीश्वरीं बुद्धिदात्री भारतीं भुवनेश्वरीम्।।
चंद्रघंटां मरालस्थां जगन्मातरमुत्तमाम्।
वरदायिनी सदा वन्दे चतुर्वर्गफलप्रदमाम्।।
द्वादशैतानि नामानि सततं ध्यानसंयुतः।
यः पठेत् तस्य जिह्वाग्रे नूनं वसति शारदा।।