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हिमाचल का वह गाँव जहाँ ‘दिवाली’ है एक अभिशाप! सती के श्राप ने सदियों से छीन ली खुशियों की रोशनी

Sammoo Village: हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले का एक रहस्यमयी गांव, सम्मू में सदियों से यह त्योहार नहीं मनाया जाता है।यहां खुशियों की रोशनी नहीं, बल्कि एक गहरा सन्नाटा और भय पसरा रहता है।

  • By दीपिका पाल
Updated On: Oct 20, 2025 | 10:34 AM

सदियों से नहीं मनाई जाती दीपावली (सौ.सोशल मीडिया)

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शिमला: देशभर में जहां पर पूरे देश दीपों के पर्व दीपावली को धूमधाम और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है, वहीं पर हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले का एक रहस्यमयी गांव, सम्मू में सदियों से यह त्योहार नहीं मनाया जाता है। जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर स्थित सम्मू गांव आज भी ‘शापित गांव’ के नाम से जाना जाता है। यहां खुशियों की रोशनी नहीं, बल्कि एक गहरा सन्नाटा और भय पसरा रहता है। सम्मू गांव के लोग दीपावली पर न तो पकवान बनाते हैं, न ही घरों को सजाते हैं और न ही उत्सव मनाने की कोशिश करते हैं।

मान्यता है कि अगर कोई इस त्योहार को मनाने का प्रयास करता है, तो गांव में कोई बड़ी आपदा आती है या किसी की अकाल मृत्यु हो जाती है। इसी डर के कारण, सदियों से यहां दीपावली नहीं मनाई गई है।

सैकड़ों साल पुराना श्राप:

गांव के बुजुर्गों के अनुसार, यह अनूठी और दुःखद परंपरा एक सैकड़ों साल पुराने श्राप का परिणाम है, जिसका संबंध प्रथम विश्व युद्ध के समय से है। कहा जाता है कि दीपावली के दिन गांव की एक गर्भवती महिला अपने मायके जाने के लिए निकली थी। ठीक उसी समय, उसे खबर मिली कि सेना में तैनात उसके पति की मृत्यु हो गई है। जब ग्रामीण पति का शव लेकर लौट रहे थे, तो महिला यह हृदय विदारक दृश्य सहन नहीं कर सकी। अपने पति के वियोग में उसने उनके साथ सती होने का निर्णय लिया।

सती होने से पहले, उस गर्भवती महिला ने पूरे सम्मू गांव को श्राप दे दिया कि इस गांव में कभी भी दीपावली नहीं मनाई जाएगी। तब से लेकर आज तक, यह श्राप गांव के लोगों पर भारी पड़ रहा है और इस त्योहार को न मनाना एक कठोर नियम बन चुका है।

वर्तमान में श्राप का भय:

सम्मू गांव के निवासी रघुवीर सिंह रंगड़ा ने आईएएनएस को बताया, “हमारे बुजुर्गों के जमाने से ही दीपावली नहीं मनाई जाती। जो भी दीपावली मनाने की कोशिश करता है, उसके बाद गांव में किसी न किसी की मौत हो जाती है या कोई अनहोनी घट जाती है।” उन्होंने बताया कि श्राप से मुक्ति पाने के लिए कई बार पूजा-पाठ और अनुष्ठान भी करवाए गए, लेकिन इसका कोई सकारात्मक असर नहीं हुआ।

गांव की स्थिति का वर्णन करते हुए विद्या देवी कहती हैं, “जब भी दीपावली आती है, मन भारी हो जाता है। चारों ओर रोशनी और खुशी का माहौल होता है, लेकिन हमारे गांव में उस दिन सन्नाटा पसरा रहता है। बच्चे भी घरों में चुपचाप रहते हैं। दीपावली के दिन हमारे घरों में न दीये जलते हैं, न पकवान बनते हैं।”

भोरंज पंचायत प्रधान पूजा देवी ने भी इस बात की पुष्टि की है कि सम्मू गांव में आज तक दीपावली नहीं मनाई गई है। उन्होंने कहा, “यह गांव आज भी उस सती के श्राप के डर में जी रहा है। लोग पकवान नहीं बनाते और न ही पटाखे जलाते हैं।” प्रधान ने यह सवाल उठाया कि आखिर कब इस गांव को इस श्राप से मुक्ति मिलेगी।

ये भी पढ़ें- जहाँ हर घर जलता है दीया, वहाँ रहती है उदासी: दीपावली पर क्यों शोक मनाता है यह रहस्यमयी गाँव?

सम्मू गांव की यह कहानी दीपावली के राष्ट्रीय उत्सव के बीच एक गहरा विरोधाभास प्रस्तुत करती है। यह केवल एक लोक कथा नहीं, बल्कि एक गहरी आस्था, भय और परंपरा का मिश्रण है, जो पीढ़ियों से चली आ रही है। पूरा देश जहां रोशनी और उल्लास में डूबता है, वहीं यह गांव एक ऐतिहासिक दुःख और मौन में लिपटा रहता है।

आईएएनएस के अनुसार

Diwali is not celebrated in sammu village of himachal pradesh

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Published On: Oct 20, 2025 | 10:34 AM

Topics:  

  • Diwali
  • Lord Shiva Lifestyle News
  • night of Deepawali

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