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खीरे के बिना आखिर अधूरी क्यों है ‘कृष्ण जन्माष्टमी’ की पूजा, क्या है इसके पीछे की पौराणिक कथा

हर साल भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में ‘कृष्ण जन्माष्टमी’ (Shri Krishna Janmashtami 2024) मनाई जाती है। इस वर्ष 26 अगस्त,2024 को हैं। इस मौके पर भोग में खीरे अर्पित करने का महत्व होता है।

  • By दीपिका पाल
Updated On: Aug 18, 2024 | 02:42 PM

जन्माष्टमी में लगाएं भोग (सौ.सोशल मीडिया)

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हर साल भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में ‘कृष्ण जन्माष्टमी’ (Shri Krishna Janmashtami 2024) मनाई जाती है। इस वर्ष 26 अगस्त,2024 को पूरे देशभर में ‘जन्माष्टमी’ (Janmashtami मनाई जाएगी।

जैसा कि आप जानते है कि, ‘कृष्ण जन्माष्टमी’ (Shri Krishna Janmashtami) हिंदूओं का एक लोकप्रिय त्योहार है। न सिर्फ भारत बल्कि विदेशों में भी कान्हा के अनुयायी जोर-शोर से जन्मोत्सव मनाते है।

जन्माष्टमी (Janmashtami) का त्योहार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन भगवान श्री कृष्ण माता देवकी के गर्भ से अवतरित हुए थे।

खीरे का भोग लगाना होता हैं जरूरी

इस दिन श्रीकृष्ण का श्रृंगार, भोग के साथ पूजा में कई चीजें अर्पित की जाती है। श्रीकृष्ण की पूजा में खीरा भी जरूर इस्तेमाल होता है। मान्यताओं के अनुसार, खीरे के बिना जन्माष्टमी का त्योहार अधूरा माना जाता है। लेकिन खीरे का जन्माष्टमी की पूजा में इस्तेमाल क्यों होता है। आइए जानें इस बारे में-

ज्योतिषियों के अनुसार, इस दिन खीरा का प्रयोग इसलिए किया जाता है क्योंकि माना जाता है कि जब बच्चा पैदा होता है तो उसे मां से अलग करने के लिए गर्भनाल काटी जाती है वैसे ही जन्माष्टमी वाले दिन खीरे को डंठल को काटकर अलग किया जाता है। इसे भगवान श्रीकृष्ण को मां देवकी से अलग करने का प्रतीक माना जाता है ऐसा करने के बाद ही पूरे  विधि-विधान के साथ जन्माष्टमी की पूजा शुरु की जाती है।

जानिए खीरे के पूजन का महत्व

खीरे को काटने की इस प्रक्रिया को नाल छेदन कहते हैं। जन्माष्टमी के दिन पूजा के दौरान खीरे को भगवान श्रीकृष्ण के पास रख दें। इसके बाद जैसे ही रात में 12 बजे श्रीकृष्ण का जन्म हो उसके तुरंत बाद सिक्के की सहायता से खीरा और डंठल बीच में से काटकर श्रीकृष्ण का जन्म करवाएं। फिर शंख बजाकर बाल गोपाल जी के आने की खुशियां मनाएं और पूरे विधि-विधान के साथ पूजा करें।

कान्हा का जन्म हो जाने के बाद ज्यादातर लोग खीरे को प्रसाद के तौर पर बांट देते हैं इसके अलावा, कई जगहों पर इसे नई विवाह वाली लड़कियों और गर्भवती महिलाओं को खिलाया जाता है। माना जाता है कि इससे नई विवाह वाली लड़कियों या गर्भवती महिलाओं को खीरा खिलाने से उन्हें श्रीकृष्ण जैसे बेटे की प्राप्ति होती है।

शुभ मुहर्त

इस साल अष्टमी तिथि की शुरुआत 26 अगस्त की रात 3 बजकर 39 मिनट पर होगी और समापन 27 अगस्त रात 2 बजकर 19 मिनट पर होगा। इसलिए उदया तिथि की मान्यता के अनुसार 26 अगस्त 2024 के दिन कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत रखा जाएगा।

27 अगस्त को मनेगा कृष्‍ण जन्‍मोत्‍सव

जन्‍माष्‍टमी के अगले दिन यानी नवमी तिथि में गोकुल और वृंदावन में कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाता है, इसलिए इस साल 27 अगस्त को कृष्ण भगवान का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। गुजरात स्थित द्वारिकाधीश मंदिर में भी भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव का पर्व मनाया जाता है।

लेखिका- सीमा कुमारी

Cucumber is offered as prasad during the worship of krishna janmashtami

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Published On: Aug 18, 2024 | 02:42 PM

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