(सौजन्य सोशल मीडिया)
नवभारत डेस्क : आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष में आने वाली देवशयनी एकादशी इस साल 17 जुलाई यानी आज है। मान्यताओं के अनुसार, देवशयनी एकादशी के दिन से ही पूरे चार महीनों (चातुर्मास ) तक के लिए भगवान श्रीहरि विश्राम के लिए क्षीर सागर में चले जाते हैं। चातुर्मास आरंभ होने के साथ ही शादी-ब्याह आदि सभी शुभ कार्य करना वर्जित हो जाता है।
बीते सोमवार की रात 10:15 बजे से विशाखा नक्षत्र लगते ही वैवाहिक लग्नों पर विराम लग गया है। इस नक्षत्र के समाप्त होते ही 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी के साथ चातुर्मास शुरू हो जायेगा। जगत के संचालक भगवान विष्णु को समर्पित ‘देवशयनी एकादशी’ (Devshayani Ekadashi 2024) का सनातन धर्म में बड़ा महत्व है। साल में कुल 24 एकादशी आती हैं जिनमें से देवशयनी एकादशी को बहुत ही शुभ एवं महत्वपूर्ण माना जाता है।
चातुर्मास शुरू होते ही अब अगले चार महीनों तक शादी-विवाह जैसे शुभ कार्यों पर रोक रहेगी। हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार इस दौरान न तो शहनाई गूंजेगी न शादी-विवाह की मिठाइयां बटेंगी। इस दौरान मुंडन, गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्यों पर भी रोक रहती है। इन सब शुभ कार्यों को करने के लिये 17 नवंबर तक का इंतजार करना पड़ेगा। बीते 15 जुलाई को इस सत्र का अंतिम वैवाहिक लग्न था। विवाह के लिये शुभ लग्न अब 15 दिसंबर तक मिलेगा। सोमवार रात 10:15 बजे के बाद विशाखा नक्षत्र आरंभ हो गया है जिसमें विवाह लग्न नहीं होता। इसके बाद आज यानी 17 जुलाई से देवशयनी एकादशी के बाद से सभी शुभ कार्यों पर विराम लग जाएगा।
12 नवंबर को देवउठनी एकादशी के बाद शुभ कार्य आरंभ हो जाएंगे। वहीं, शुक्र-शनि की युति मिलने के बाद तिथि, वार, करणों के संयोग से 17 नवंबर से दोबारा विवाह लग्न शुरू हो जाएंगे। 15 दिसंबर तक यह क्रम बना रहेगा। कुल 11 विवाह के लग्न इन 29 दिनों में मिलेंगे जिनमें शहनाईयां गूंजेंगी। खरमास में शुभ कार्यों पर रहेगी रोक जानकारों के अनुसार इसके बाद सूर्य का धनु राशि में प्रवेश हो जायेगा जिससे खरमास शुरू हो जायेगा और फिर से मांगलिक कार्यों पर 15 जनवरी तक के लिए रोक लग जाएगी।
17 जुलाई को शुरू होने वाली देवशयनी एकादशी से चातुर्मास लग जायेगा, जो देवउठनी एकादशी 12 नवंबर तक पूरे 118 दिनों का होगा। पिछले साल श्रावण दो माह का होने से चातुर्मास 148 दिनों का था। पिछले साल की तुलना में इस बार सभी त्योहार 11 से 13 दिन पहले पड़ेंगे। यह दुर्लभ संयोग लगभग 31 वर्ष बाद देखने को मिल रहा है। इस साल कृष्ण जन्माष्टमी 26 अगस्त पड़ रही है जो पिछले साल 7 सितंबर को थी। हरितालिका तीज व्रत 12 दिन पहले 6 सितंबर को पड़ रही है।
जलझूलनी एकादशी पिछले साल 25 सितंबर को थी जो इस साल 14 सितंबर पड़ रही है। अनंत चतुर्दशी पिछले साल 28 सितंबर को थी जो इस साल 17 सितंबर को पड़ रही है। पितृ पक्ष की शुरुआत 18 सितंबर को होगी, जो पिछले साल 30 सितंबर से थी। इस साल पवित्र नवरात्र 3 अक्टूबर से शुरू होंगे। वहीं, दशहरा 12 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस बार दीपावली एक नवंबर को मनाई जाएगी जबकि पिछले साल यह 12 नवंबर को थी।