राजस्थान के सीएम भजन लाल शर्मा व किरोणी लाल मीणा (डिजाइन फोटो)
जयपुर : राजस्थान की सियासत में बड़ा उथल-पुथल होने वाला है। भाजपा नेता किरोणी लाल मीणा ने मंत्रिपद से इस्तीफा दे दिया है। मीणा के इस्तीफे के बाद से राजस्थान राजनीति में कोलाहल मचा हुआ है। किरोणी लाल मीणा ने इस्तीफा देते भले ही यह कहा कि वह पार्टी और संगठन के लिए काम करते रहेंगे लेकिन राजनीति के खेल में संभावनाएं क्रिकेट की तरह हमेशा बरक़रार रहती हैं।
राजस्थान के कृषि मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ किरोड़ीलाल मीणा ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। आज एक धार्मिक कार्यक्रम में एक प्राइवेट चैनल से बातचीत के दौरान उन्होंने इसकी जानकारी दी। मीणा ने कहा वे दो दिन से दिल्ली में थे। उन्हें पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री ने बातचीत के लिए बुलाया था, लेकिन उनसे मुलाकात नहीं हो सकी। मीणा ने कहा कि उनकी संगठन या मुख्यमंत्री से कोई नाराजगी नहीं है। जबकि इस्तीफे के पीछे मुख्य वजह सीएम से नाराजगी को ही माना जा रहा है।
सूत्रों के मुताबिक किरोड़ीलाल मीणा ने कुछ दिन पहले सीएम से मुलाकात की थी। उसी दौरान इस्तीफा दे दिया था। विधानसभा के बजट सत्र के चलते रणनीति के तहत इसे गोपनीय रखा गया। अब हाईकमान के स्तर पर ही इस पर फैसला होगा।
कहा जा रहा है कि दिसंबर 2023 में भाजपा की सत्ता में वापसी हुई तो माना जा रहा था किरोड़ीलाल को उपमुख्यमंत्री जैसा पद मिल सकता है। जब सरकार बनी तो उन्हें कृषि मंत्री तो बनाया गया लेकिन कृषि विपणन विभाग नहीं दिया गया। इसके अलावा ग्रामीण विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी भी मिली लेकिन उसमें से पंचायती राज विभाग को अलग कर दिया गया।
लोकसभा चुनावों में किरोड़ीलाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा दौसा से बीजेपी टिकट के दावेदार थे। बीजेपी ने दौसा से जगमोहन मीणा को टिकट नहीं दिया, उनकी जगह कन्हैयालाल मीणा को टिकट दिया। कन्हैयालाल मीणा बड़े अंतर से हारे। चर्चा है कि इसके बाद मीणा की नाराजगी और बढ़ गई। तभी से यह माना जा रहा था कि कभी भी मीणा इस्तीफा सौंप सकते हैं।
इसके अलावा किरोड़ीलाल मीणा के इस्तीफे का एक कारण उनके वचन को भी माना जा रहा है। दरअसल, लोकसभा चुनाव के दौरान कहा था कि उन्हें जिन सीटों की जिम्मेदारी मिली है अगर वो हारते हैं तो इस्तीफा दे देंगे। रिजल्ट के दिन बीजेपी दौसा सीट हार गई। लोकसभा चुनावों के रिजल्ट से पहले रुझानों में बीजपी को 11 सीटें हारते देख ही मीणा ने दोपहर में ही सोशल मीडिया पोस्ट करके इस्तीफे के संकेत दे दिए थे। उन्होंने रामचरित मानस की चौपाई- रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन न जाए, लिखकर संकेत दिए कि वे अपनी घोषणा से पीछे नहीं हटेंगे।
किरोड़ीलाल मीणा के इस्तीफे पर हाईकमान को फैसला लेना है। हाईकमान की तरफ से मान-मनौव्वल की जा सकती है। क्योंकि मंजूर हुआ तो पार्टी की परेशानी बढ़ सकती है। जानकार कहते हैं कि मीणा का सियासी ट्रैक रिकॉर्ड देखें तो वे हमेशा आक्रामकता से मुद्दे उठाते रहे हैं।
लोकसभा चुनावों में बीजेपी की हार के मुद्दे पर वे सरकार से बाहर आते हैं तो सरकार के साथ बीजेपी के लिए भी असहज हालात पैदा होंगे। आगे पांच विधानसभा सीटों के उपचुनावों और निकाय-पंचायत चुनावों में भी नरेटिव खराब हो सकता है। अब तक सरकार में रहकर कई मुद्दों पर शांत रहने वाले किरोड़ी को मुखर होने का मौका मिल जाएगा। किरोड़ी सरकार में नहीं रहे तो मुद्दे उठाने के लिए आजाद हो जाएंगे।