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मुर्दे भी कानून के दायरे में! शव के साथ किया ‘ये’ काम तो सीधे 5 साल जेल; मातम मनाएं, प्रदर्शन नहीं

Rajasthan सरकार ने मृतकों के ऊपर एक नया कानून लागू कर दिया है, सरकार की तरफ से 'मृतक शरीर सम्मान कानून' लाया गया है। अब यदि कोई शव रखकर व्यवस्था बाधित करने की कोशिश पर सीधे कार्रवाई की जाएगी।

  • By सौरभ शर्मा
Updated On: Dec 07, 2025 | 04:48 PM

राजस्थान में ‘मृतक शरीर सम्मान कानून’ लागू (कॉनेस्प्ट फोटो- एआई)

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Rajasthan Dead Body Respect Bill: राजस्थान में अब दुख की घड़ी में भी कानून का सख्त पहरा होगा। राज्य सरकार ने ‘मृतक शरीर सम्मान कानून’ को पूरी सख्ती से लागू कर दिया है। इसका सीधा और साफ मतलब है कि अब कोई भी व्यक्ति, चाहे वह मृतक का परिवार हो या कोई बड़ा नेता, शव को सड़क पर रखकर अपनी मांगें नहीं मनवा सकेगा। अगर किसी ने भी लाश का इस्तेमाल भीड़ जुटाने, रास्ता रोकने या प्रशासन पर दबाव बनाने के लिए किया, तो उसे सीधा जेल की हवा खानी पड़ सकती है। यह ऐतिहासिक फैसला उन घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए है, जहां शवों को ढाल बनाकर राजनीति की जाती थी।

दिलचस्प बात यह है कि यह कानून पिछली अशोक गहलोत सरकार के कार्यकाल में 20 जुलाई 2023 को विधानसभा में पारित हुआ था। उस समय विपक्ष में बैठी बीजेपी ने इस कानून का सड़क से लेकर सदन तक कड़ा विरोध किया था। हालांकि, अब सत्ता में आते ही मौजूदा सरकार ने बिना किसी बदलाव के इसके नियमों को हरी झंडी दे दी है। राज्यपाल की मंजूरी इसे पहले ही मिल चुकी थी, लेकिन अब नियम अधिसूचित होने के बाद पुलिस और प्रशासन के पास वह कानूनी ताकत आ गई है, जिससे वे सीधे कार्रवाई कर सकेंगे।

24 घंटे का अल्टीमेटम

नए नियमों के मुताबिक, अब किसी भी व्यक्ति की मौत के बाद उसका अंतिम संस्कार 24 घंटे के भीतर करना अनिवार्य कर दिया गया है। प्रशासन अब प्रदर्शनकारियों का अनिश्चितकाल तक इंतजार नहीं करेगा। अंतिम संस्कार में देरी की इजाजत सिर्फ दो ही विशेष परिस्थितियों में मिल पाएगी या तो मृतक के नजदीकी परिजन बाहर से आ रहे हों, या फिर कानूनी प्रक्रिया के तहत पोस्टमॉर्टम जरूरी हो। अगर इनके अलावा बिना किसी ठोस वजह के अंतिम संस्कार टाला गया, तो पुलिस शव को सम्मानपूर्वक अपने कब्जे में ले लेगी और खुद उसका अंतिम संस्कार करवा देगी।

यह भी पढ़ें: 25 मौतें और मैनेजमेंट की लापरवाही, क्या पटाखों ने ली सबकी जान? Goa Club कांड की अब तक की पूरी कहानी

परिजन भी नपेंगे, नेता भी फसेंगे

यह कानून कितना सख्त है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह पीड़ित परिवार को भी नहीं बख्शेगा। अगर परिजन किसी राजनीतिक या सामाजिक दबाव में आकर शव उठाने से मना करते हैं, तो वे भी सजा के हकदार होंगे। वहीं, अगर कोई नेता, संगठन या बाहरी व्यक्ति शव के साथ विरोध-प्रदर्शन करता है, तो उसे 1 साल से लेकर 5 साल तक की जेल हो सकती है। साथ ही उन पर जुर्माना भी लगाया जाएगा। अब इस कानून के दायरे में परिजन और नेता सभी आ गए हैं, जिससे शव पर होने वाली सियासत पूरी तरह खत्म होने की उम्मीद है।

Dead body respect law implemented jail penalty new rules

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Published On: Dec 07, 2025 | 04:48 PM

Topics:  

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