किसान नेता डल्लेवाल (सोर्स: सोशल मीडिया)
चंडीगढ़: जहां बीते 22 फरवरी शनिवार को केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की किसान नेताओं के साथ बैठक हुई थी। वहीं इस बैठक में केंद्र की ओर से केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी और पीयूष गोयल भी शामिल हुए थे। वहीं अब अगले दौर की वार्ता आज यानी 19 मार्च को चंडीगढ़ में होनी है। आज की इस बैठक में एक बार फिर फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए कानूनी गारंटी सहित किसानों की विभिन्न मांगों पर चर्चा होनी है।
जानकारी दें कि, बीते 22 फरवरी को हुई बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि किसानों के साथ चर्चा सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई। चौहान ने बताया था कि केन्द्रीय दल ने बैठक के दौरान किसानों के समक्ष किसान कल्याण कार्यक्रम को रखा, जो मोदी सरकार की प्राथमिकता है। तब लगभग तीन घंटे तक चली बैठक के बाद शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि, “हमने किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल और सरवन सिंह पंधेर के विचार सुने। बहुत अच्छी चर्चा हुई। चर्चा जारी रहेगी और अगली बैठक 19 मार्च को चंडीगढ़ में होगी।”
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इससे पहले बीते 22 फरवरी को केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रह्लाद जोशी शाम छह बजकर पांच मिनट पर 28 सदस्यीय किसान प्रतिनिधिमंडल से मिलने के लिए बैठक स्थल महात्मा गांधी लोक प्रशासन संस्थान पहुंचे थे। बैठक में पंजाब के कैबिनेट मंत्री हरपाल सिंह चीमा, गुरमीत सिंह खुड्डियां और लाल चंद कटारूचक भी मौजूद थे।
जगजीत सिंह डल्लेवाल और सरवन सिंह पंढेर समेत किसानों का प्रतिनिधिमंडल पहले ही बैठक स्थल पर पहुंच गया था। बैठक के बाद किसान नेताओं ने कहा था कि उन्होंने फसलों पर MSP के लिए कानूनी गारंटी की अपनी मांग के समर्थन में तथ्य प्रस्तुत किए थे। वहीं किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) के समन्वयक सरवन सिंह पंढेर ने कहा, ‘‘हमने एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी के फायदे साझा किए। इससे किसानों की आत्महत्याएं रुकेंगी क्योंकि उन्हें अपनी फसल के लिए न्यूनतम मूल्य मिलने की गारंटी होगी।”
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वहीं बीते 28 फरवरी शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने किसानों के आंदोलन संबंधी मामले पर सुनवाई स्थगित करते हुए कहा था कि केंद्र और किसानों के बीच दो दौर की वार्ता हो चुकी है। किसानों ने फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी सहित कई मांगें की हैं।
जानकारी दें कि, किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल केंद्र पर आंदोलनकारी किसानों की मांगों को स्वीकार करने का दबाव बनाने के लिए 26 नवंबर, 2024 से पंजाब और हरियाणा के बीच खनौरी सीमा पर आमरण अनशन पर हैं। वहीं संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (KMM) के बैनर तले किसान पिछले साल 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमा पर डेरा डाले हुए हैं, क्योंकि सुरक्षा बलों ने उन्हें अपनी विभिन्न मांगों को लेकर दिल्ली तक मार्च करने की अनुमति नहीं दी थी।
बताते चलें कि,न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए कानूनी गारंटी के अलावा, किसान कर्ज माफी, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली दरों में बढ़ोतरी नहीं करने, किसानों के खिलाफ पुलिस मामलों को वापस लेने और उत्तर प्रदेश में 2021 लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं। भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को बहाल करना और 2020-21 में पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देना भी उनकी मांगों में भी यह शामिल है।