वक्फ बिल का समर्थन देना सीएम नीतीश कुमार को पड़ गया महंगा, कॉन्सेप्ट फोटो
नवभारत डिजिटल डेस्क : इसी साल बिहार में लगभग 6 से 7 महीने बाद विधानसभा चुनाव होना है। ऐसे में बिहार भारत का पहला ऐसा राज्य बन गया है, जो वक्फ संशोधन विधेयक के पारित होने के बाद चुनावी दंगल में कुद रहा है। इस कदम ने इस साल के अंत में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में मुस्लिम मतदाताओं के संबंध में एक अहम बहस छेड़ दी है। अब इसका असर भी दिखने लगा है।
जैसे ही नीतीश कुमार की पार्टी ने वक्फ बिल पर अपनी सहमति जाताई, जेडीयू के दो मुस्लिम नेताओं ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया, उन्होंने जेडीयू द्वारा वक्फ संशोधन विधेयक का समर्थन करने पर गहरी निराशा व्यक्त की है।
जदयू के अल्पसंख्यक राज्य सचिव मोहम्मद शाहनवाज मलिक ने शुक्रवार यानी 04 अप्रैल को पार्टी अध्यक्ष नीतीश कुमार को संबोधित एक पत्र के माध्यम से अपने इस्तीफे की घोषणा की, जिसमें उन्होंने कहा कि उन्होंने उन मुसलमानों का सारा भरोसा खो दिया है, जो मानते थे कि पार्टी धर्मनिरपेक्ष है।
पत्र में मलिक ने लिखा, “हमारे जैसे लाखों भारतीय मुसलमानों का दृढ़ विश्वास था कि आप पूरी तरह से धर्मनिरपेक्ष विचारधारा के ध्वजवाहक हैं। लेकिन अब यह विश्वास टूट गया है।” उन्होंने कहा कि जिस तरह से जदयू सांसद ललन सिंह ने लोकसभा में बिल का समर्थन किया है, उससे मुसलमानों की भावनाओं को गहरी ठेस पहुंची है।
मोहम्मद शाहनवाज मलिक, फोटो – सोशल मीडिया
मोहम्मद शाहनवाज मलिक ने कहा, “लल्लन सिंह ने जिस तरह से अपना भाषण दिया और इस विधेयक का समर्थन किया, उससे हम बहुत दुखी हैं।” उन्होंने विधेयक को मुस्लिम विरोधी और पसमांदा विरोधी बताया और अपने पत्र में कहा, “यह विधेयक संविधान के कई मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। इस विधेयक के जरिए भारतीय मुसलमानों को अपमानित और बदनाम किया जा रहा है।” मलिक ने पार्टी के साथ अपने लंबे जुड़ाव पर भी खेद व्यक्त करते हुए कहा कि मुझे इस बात का अफसोस है कि मैंने अपने जीवन के कई साल पार्टी को दिए।
उन्होंने घोषणा की कि वह जदयू की प्राथमिक सदस्यता और अन्य सभी जिम्मेदारियों से इस्तीफा दे रहे हैं। इस्तीफे की एक प्रति जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा और पार्टी के वरिष्ठ नेता मोहम्मद अशरफ अंसारी को भी भेजी गई है।
मोहम्मद कासिम अंसारी, फोटो – सोशल मीडिया
ध्यान देने वाली बात यह है कि इससे पहले, मोहम्मद कासिम अंसारी ने भी जनता दल यूनाइटेड की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था, क्योंकि पार्टी ने लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को पारित करने का समर्थन किया था। बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार को लिखे अपने त्यागपत्र में अंसारी ने कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक पर पार्टी के रुख ने लाखों मुसलमानों को गहरी ठेस पहुंचाई है।
मोहम्मद कासिम अंसारी ने लिखा, “पूरे सम्मान के साथ, मैं यह कहना चाहता हूं कि मेरे जैसे लाखों भारतीय मुसलमानों को अटूट विश्वास था कि आप धर्मनिरपेक्ष विचारधारा के सच्चे ध्वजवाहक हैं। हालांकि, अब यह विश्वास टूट गया है। वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2024 के संबंध में जेडीयू द्वारा अपनाए गए रुख ने लाखों समर्पित भारतीय मुसलमानों और मेरे जैसे पार्टी कार्यकर्ताओं को गहरी ठेस पहुंचाई है।”
नीतीश कुमार और उनकी पार्टी के वक्फ बिल को समर्थन देने के कारण बिहार की करीब 18% मुस्लिम आबादी ने आरजेडी से अपना नाता तोड़ लिया है। बता दें, ये वोर्टस कई निर्वाचन क्षेत्रों में निर्णायक भूमिका निभातो हैं। ऐसे में राजद, कांग्रेस और जन सुराज पार्टी मुस्लिम वोट बैंक को अपनी ओर खींचने की पूरी कोशिश कर रही हैं। खासकर राजद और प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी के बीच इस समुदाय का समर्थन पाने की होड़ सबसे अधिक नजर आ रही है।
इस विधेयक का विरोध करके और मुस्लिम वोटों को मोबलाइज करके राजद को फायदा हो सकता है। बिहार में मुस्लिम-यादव यानी एमवाई समीकरण पहले से ही राजद के लिए मजबूत रहा है। अगर यह मुद्दा चुनाव तक गर्म बना रहा, तो पूर्वी बिहार और सीमांचल में मुस्लिम वोटों का पूरा ध्रुवीकरण महागठबंधन के पक्ष में हो सकता है।
बिहार की अन्य खबरों को पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें
आपको जानकारी के लिए बताते चलें कि यदि मुस्लिम मतदाताओं का गुस्सा बरकरार रहता है और जेडीयू-एलजेपी जैसी पार्टियां इसे संभालने में विफल रहती हैं, तो एनडीए को 10-15 सीटों का नुकसान हो सकता है। वहीं दूसरी ओर, मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण से राजद को 15-20 अतिरिक्त सीटें मिल सकती हैं।