कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया (फोटो- सोशल मीडिया)
Karnataka CM Siddaramaiah Remark on Lingayat: कर्नाटक में एक बार फिर लिंगायत धर्म का मुद्दा गरमा गया है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने एक बड़ा बयान देते हुए लिंगायत को हिंदू धर्म से अलग एक स्वतंत्र धर्म बताया है। उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब राज्य में सामाजिक-शैक्षिक सर्वेक्षण चल रहा है और लिंगायत समुदाय इस बात को लेकर बंटा हुआ है कि वे अपनी पहचान एक अलग धर्म के रूप में दर्ज कराएं या हिंदू धर्म के भीतर एक जाति के रूप में। इस बयान ने कर्नाटक की राजनीति में एक नई बहस छेड़ दी है।
यह सारा विवाद लिंगायत सीयर्स एसोसिएशन द्वारा आयोजित बासव सांस्कृतिक अभियान 2025 के समापन समारोह के दौरान शुरू हुआ। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि समाज में जाति व्यवस्था बहुत गहराई तक समाई हुई है और इसी व्यवस्था को खत्म करने के लिए समाज सुधारक बसवन्ना ने एक अलग धर्म की स्थापना की थी। जहां कांग्रेस लिंगायतों को एक अलग धर्म के रूप में पेश करने की कोशिश कर रही है, वहीं विपक्षी भाजपा समुदाय से खुद को हिंदू धर्म की एक जाति के रूप में पहचानने का आग्रह कर रही है ताकि हिंदुत्व को मजबूती मिले।
अपने भाषण में सिद्धारमैया ने जाति व्यवस्था पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा, ‘मैं चातुर्वर्ण्य व्यवस्था के अनुसार एक शूद्र हूं। सिर्फ इसलिए कि मैं शूद्र हूं, मुझे शिक्षा और समानता जैसे अवसरों से वंचित नहीं किया जा सकता।’ उन्होंने स्पष्ट किया कि कोई भी व्यक्ति जाति से बड़ा या प्रसिद्ध नहीं बनता है। ज्ञान किसी एक व्यक्ति की संपत्ति नहीं है और इसे किसी के लिए भी नकारा नहीं जा सकता। सिद्धारमैया ने यह भी कहा कि वे इस सम्मेलन में ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहते क्योंकि उनके किसी भी बयान को तुरंत विवाद का रूप दे दिया जाता है।
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सिद्धारमैया ने समाज सुधारक राम मनोहर लोहिया को याद करते हुए कहा कि अगड़ी जातियों की रैलियां जाति को मजबूत करने का काम करती हैं, जबकि पिछड़ी और दबी-कुचली जातियों की रैलियां समानता की मांग के लिए होती हैं। उन्होंने बसवन्ना के सिद्धांतों को मानने वालों और निचली जातियों के सभी लोगों से एक साथ आने का आह्वान किया ताकि देश में एक जातिविहीन और समान समाज का निर्माण किया जा सके। उन्होंने कहा कि एक मानवीय समाज बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हम सभी को एकजुट होना होगा।