नरेन्द्र मोदी व जीतन राम मांझी (डिजाइन फोटो)
नवभारत डेस्क: बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं और उससे पहले एनडीए में खींचतान तेज होती जा रही है। एनडीए गठबंधन में अपनी पार्टी हम की उपेक्षा से नाराज जीतन राम मांझी ने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने की खुली धमकी दी है। राज्य भर में भुइयां-मुसहर सम्मेलन करने निकले जीतन राम मांझी ने बीजेपी को चेतावनी देते हुए बड़ा बयान दिया है।
दरअसल, ‘हम’ प्रमुख जीतन राम मांझी बीजेपी द्वारा चिराग पासवान को ज्यादा महत्व दिए जाने से नाराज हैं। उन्होंने रामचरित मानस की पंक्तियां पढ़ीं- भय बिनु होय न प्रीत। साथ ही केन्द्रीय कैबिनेट छोड़ने की धमकी भी दी है। जिसके बाद यह कहा जा रहा है कि अगर बिहार चुनाव में मांझी की मांग पूरी न होने पर वह एनडीए की नाव की सवारी और पतवार दोनों छोड़ सकते हैं।
जीतन राम मांझी ने मंगलवार को मुंगेर में भुइयां-मुसहर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि एनडीए में उनकी पार्टी की उपेक्षा की जा रही है। मांझी ने कहा- जब झारखंड में विधानसभा चुनाव हुए तो हमारी पार्टी को कोई सीट नहीं दी गई। जब दिल्ली में विधानसभा चुनाव हुए तो वहां भी हमारी पार्टी को कोई सीट नहीं दी गई। वे (भाजपा वाले) कहते हैं कि हमने मांगा नहीं, इसलिए नहीं मिला।
मांझी ने कहा, क्या यही न्याय है? क्या हमारा कोई वजूद नहीं है? वे (भाजपा वाले) सोचते हैं कि हमारा कोई वजूद नहीं है, इसलिए हमें सीट नहीं दी गई। जो लोग हमारा जनाधार देखना चाहते हैं, वे मेरी जनसभाएं देखें। आज मैं मुंगेर में हूं और यहां कितने लोग आए हैं। इससे पहले मैंने रविवार और सोमवार को भी जनसभाएं की हैं, लोगों को देखना चाहिए कि वहां कितने लोग आए।
मांझी ने खुले मंच से कहा- जब जनता हमारे साथ है, मेरे पास वोट है, तो हमें सीट क्यों नहीं मिली। यह सवाल मुझे पूछना है। जीतन राम मांझी ने कहा कि हमारा स्टैंड साफ है, हमें हमारे वजूद के हिसाब से सीट दीजिए। हम अपने फायदे के लिए नहीं, बल्कि दलितों के फायदे के लिए सीट मांग रहे हैं। उन्होंने कहा कि मेरा मामला आगे बढ़ रहा है, इसलिए लगता है कि मुझे मोदी कैबिनेट छोड़नी पड़ेगी।
जीतन राम मांझी ने अपनी ही सरकार पर दबाव बनाने के लिए कई मांगें रखी हैं। उन्होंने कहा कि बिहार के सभी भूमिहीन दलितों को पांच-पांच डिसमिल जमीन मिलनी चाहिए। मांझी ने कहा कि जब मैं बिहार का मुख्यमंत्री था, तब मैंने भूमिहीन परिवारों को तीन डिसमिल की जगह पांच डिसमिल जमीन देने का फैसला लागू किया था। अब उन्हें पांच डिसमिल जमीन दी जानी चाहिए।
जीतन राम मांझी ने आगे कहा कि बिहार में सरकार के पास 17 से18 लाख एकड़ जमीन है। वहीं, राज्य में भूमिहीन परिवारों की संख्या 12 लाख है। अगर सरकार अपनी जमीन भूमिहीनों में बांट दे तो हर परिवार के पास डेढ़ एकड़ जमीन होगी। मांझी ने कहा- क्या मुझे ये सब मांग नहीं करनी चाहिए।
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उन्होंने दलितों से कहा कि उन्हें रामायण की पंक्तियां याद रखनी चाहिए- भय बिनु होय न प्रीत। 20 से कम सीटें मंजूर नहीं जीतन राम मांझी ने कहा कि मेरी पार्टी के कार्यकर्ता विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे में 40 सीटें मांग रहे हैं। लेकिन मैं सिर्फ 20 सीटें मांग रहा हूं। अगर हमारे 20 विधायक जीत गए तो हम दलितों के सारे काम करवा देंगे। मांझी ने कहा कि विधानसभा चुनाव में उन्हें 20 सीटों से कम मंजूर नहीं है।
दरअसल जीतन राम मांझी बीजेपी के चिराग प्रेम से ज्यादा नाराज हैं। मांझी ने खुलेआम कहा है कि बिहार में भुइया और मुसहर जाति के लोगों की संख्या पासवान जाति के लोगों से ज्यादा है। लेकिन बीजेपी चिराग पासवान को काफी महत्व दे रही है। पिछले लोकसभा चुनाव में भी चिराग पासवान की पार्टी को पांच सीटें दी गई थीं। इसके अलावा झारखंड और दिल्ली के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी ने चिराग पासवान की पार्टी के लिए एक सीट छोड़ी थी।
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जीतन राम मांझी का कहना है कि बिहार विधानसभा चुनाव के सीट बंटवारे में यह फॉर्मूला काम नहीं करेगा। इसके लिए वे मोदी कैबिनेट में मंत्री पद छोड़ने को भी तैयार हैं। बीजेपी को अपनी ताकत दिखाने के लिए जीतन राम मांझी पूरे बिहार में भुइया-मुसहर सम्मेलन करने निकल पड़े हैं। जाहिर है आने वाले दिनों में बीजेपी के लिए मुश्किलें बढ़ेंगी।