DMK के वरिष्ठ नेता ए राजा (सोर्स - सोशल मीडिया)
चेन्नई: द्रमुक के वरिष्ठ नेता ए. राजा ने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को धोती पहनते समय ‘कुमकुम’ लगाने और ‘कलावा’ बांधने से बचने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि विचारधारा के बिना कोई भी राजनीतिक दल टिक नहीं सकता और इसका उदाहरण अन्नाद्रमुक है। राजा ने यह स्पष्ट किया कि वह भगवान में आस्था रखने के विरोधी नहीं हैं, लेकिन जब कार्यकर्ता कुमकुम लगाते हैं और कलावा बांधते हैं, तो वे संघ परिवार के सदस्यों जैसे दिखने लगते हैं।
उन्होंने आगे कहा ऐसा हमें नहीं करना है इससे उनकी अलग पहचान खो जाती है। उन्होंने विशेष रूप से पार्टी की छात्र शाखा से जुड़े कार्यकर्ताओं को इन प्रतीकों से बचने की नसीहत दी। ए. राजा ने कहा कि हमें अपनी अलग पहचान बनानी हैं।
चेन्नई में एक सभा को संबोधित करते हुए ए. राजा ने कहा कि द्रमुक केवल एक राजनीतिक दल नहीं बल्कि एक विचारधारा है। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं को याद दिलाया कि पार्टी के संस्थापक सी. एन. अन्नादुरई ने हमेशा सामाजिक समानता और तर्कसंगत सोच को महत्व दिया। राजा ने कहा कि व्यक्तिगत आस्था किसी की भी हो सकती है, लेकिन पार्टी की विचारधारा से जुड़े प्रतीकों को बनाए रखना जरूरी है।
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राजा के इस बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। कुछ लोगों ने इसे सही बताया तो कुछ ने आलोचना की। राजा ने अपनी बात को दोहराते हुए कहा कि द्रमुक की छात्र शाखा के सदस्यों को खासतौर पर अपनी विचारधारा को स्पष्ट रखना चाहिए। उनका मानना है कि पार्टी की पहचान मजबूत होनी चाहिए और उसके कार्यकर्ता अन्य राजनीतिक संगठनों से अलग दिखने चाहिए।
पार्टी के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राजा ने कहा कि उन्हें भगवान में आस्था रखने में कोई दिक्कत नहीं है और पार्टी के संस्थापक सीएन अन्नादुरई ने खुद कहा था कि गरीब लोगों की मुस्कान में भगवान को देखा जा सकता है। कुछ दिन पहले नीलगिरी जिले में एक समारोह को संबोधित करते हुए राजा ने कहा कि जब आप पोट्टू (कुमकुम) लगाते हैं और कैरू (कलाई पर पहना जाने वाला धागा) पहनते हैं और संघी (आरएसएस के सदस्य) भी ऐसा करते हैं, तो अंतर करना मुश्किल हो जाता है। उनके कथित संबोधन का एक वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है।