एकनाथ शिंदे, देवेंद्र फडणवीस व अजित पवार (सोर्स: सोशल मीडिया)
मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में 132 सीटें जीतने के बाद बीजेपी के हौसले काफी बुलंद हैं। यही वजह है कि अब वह आने वाले दिनों में मनपा चुनाव खुद के दम पर लड़ने की योजना बना रही है। हाल ही में बीजेपी की कोर कमेटी की बैठक में पार्टी के सीनियर नेताओं ने अपना मत व्यक्त करते हुए कहा कि हमें महायुति के साथ नहीं बल्कि खुद के बल रही पर चुनाव लड़ने चाहिए।
उनका मानना है कि हाल के विधानसभा चुनाव में राज्य के सभी हिस्सों से बीजेपी को अच्छा जनसमर्थन मिला है। ऐसे में अब मनपा चुनाव के लिए हमें एकनाथ शिंदे की शिवसेना या फिर अजित पवार की एनसीपी की जरूरत नहीं है।
सूत्रों के मुताबिक सीएम देवेन्द्र फडणवीस भी पार्टी नेताओं के इस राय से सहमत नज़र आ रहे हैं। ऐसी रिपोर्ट है कि शुक्रवार को दिल्ली में फडणवीस ने इस बारे में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से विस्तार से चर्चा की है। माना जा रहा है कि 22 फरवरी को पुणे दौरे पर आ रहे शाह के साथ फडणवीस इस बारे में आगे की बातचीत करेंगे। हालांकि बीजेपी के अकेले चुनाव लड़ने की योजना से शिंदे कैंप में हलचल तेज हो गई है।
महायुति में शामिल उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा है कि हमारी शिवसेना को कमज़ोर नहीं समझा जाना चाहिए। उनका मत है कि महायुति में शामिल सभी दलों को मिल कर चुनाव लड़ना चाहिए। अकेले चुनाव लड़ने से इसका खामियाजा महायुति में शामिल सभी दलों को उठाना पड़ सकता है।
शिंदे ने यह बात ऐसे समय में कही है, जब हाल ही में सीएम फडणवीस ने मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे के साथ उनके दादर स्थित घर पर मुलाक़ात की थी। इसके बाद से महाराष्ट्र की राजनीति में नया खेला होने की संभावना व्यक्त की जा रही है।
नई महायुति सरकार के गठन के बाद से बीजेपी और शिंदे के बीच की खाई चौड़ी होती जा रही है। शिंदे, दोबारा सीएम न बनाए जाने से नाखुश हैं। यहां तक कि वे सीएम फडणवीस की बैठकों में भी शामिल नहीं हो रहे हैं।
आरोप यह भी लग रहे हैं कि डिप्टी सीएम शिंदे महायुति के अंदर खुद की अलग ‘सरकार’ चला रहे हैं। उनका यह रवैया बीजेपी को नागवार गुज़र रहा है। यही वजह है कि अब मनपा चुनाव में बीजेपी अपने बलबूते मैदान में जाना चाहती है। ताकि महायुति सरकार की तरह मनपा में अपनी सत्ता स्थापित करने के लिए शिंदे पर निर्भर न रहना पड़े।
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हाल ही में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने यह संकेत दिए थे कि विभिन्न जिलों में लंबित मनपा चुनाव इस साल मार्च-अप्रैल महीने में कराए जा सकते हैं। लेकिन इसके लिए सबकी नजरें सुप्रीम कोर्ट में ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर चल रही सुनवाई पर टिकी है।
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ओबीसी आरक्षण का मामला अभी भी सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है। ओबीसी आरक्षण व वार्ड पुनर्गठन की याचिका पर शीर्ष अदालत में अगली सुनवाई 25 फरवरी को होगी। ऐसे में अब कहा जा रहा है कि मनपा चुनाव इस साल अक्टूबर-नवंबर में हो सकते हैं।
जानकारों का कहना है कि इसमें सबसे अहम देश की सबसे अमीर माने जाने वाली मुंबई बीएमसी का चुनाव है। जिस पर काबिज़ होने के लिए महायुति में शामिल बीजेपी और शिंदे सेना के बीच वर्चस्व की लड़ाई चल रही है।