तेजस्वी यादव और हेमंत सोरने, फोटो - एक्स
पटना : बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं और इसके साथ ही सियासी पारा भी चढ़ता जा रहा है। एक ओर जहां सभी पार्टियां अपनी स्थिति मजबूत करने में जुटी हैं, वहीं अब झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने महागठबंधन यानी इंडिया ब्लॉक में सीटों की मांग कर के नया सियासी समीकरण खड़ा कर दिया है।
JMM ने बिहार चुनाव में एक दर्जन सीटों पर दावेदारी ठोकी है, जिससे RJD) के नेतृत्व वाले गठबंधन में खलबली मच गई है। सूत्रों का कहना है कि हेमंत सोरेन ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि गठबंधन में सहमति नहीं बनी तो उनकी पार्टी अकेले चुनाव लड़ने से पीछे नहीं हटेगी।
हाल ही में हुई JMM की एक अहम बैठक में बिहार की उन सीटों पर चर्चा हुई जहां पार्टी का प्रभाव है। इनमें सीमांचल और झारखंड से सटे विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। भले ही JMM का बिहार में अब तक सीमित राजनीतिक आधार रहा हो, लेकिन पार्टी का दावा है कि कम से कम 12 सीटों पर वह प्रभावशाली स्थिति में है।
2010 में JMM ने चकाई सीट से चुनाव जीतकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी। उस समय सुमित कुमार सिंह ने JMM के टिकट पर जीत दर्ज की थी, जो अब स्वतंत्र विधायक हैं और बिहार सरकार में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और तकनीकी शिक्षा मंत्री के रूप में कार्यरत हैं।
JMM ने जिन प्रमुख सीटों पर अपनी दावेदारी जताई है, उनमें शामिल हैं, चकाई, कटोरिया, टरापर, झाझा, बांका, रूपौली, ठाकुरगंज, मनिहारी, बनमंखी, जमालपुर, धमदाहा आदि। इन सीटों की खास बात यह है कि यहां आदिवासी और अल्पसंख्यक वोटर्स की अच्छी-खासी संख्या है।
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राजनीतिक जानकारों की मानें तो आने वाले दिनों में RJD और JMM के बीच बातचीत तेज हो सकती है। इसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि झारखंड में JMM ने RJD को समर्थन देकर दरियादिली दिखाई थी। वहां RJD के कुल चार विधायकों में से एक को राज्य सरकार में प्रतिनिधित्व मिला हुआ है। ऐसे में यह माना जा रहा है कि RJD कुछ सीटें छोड़कर JMM को साथ बनाए रखने की कोशिश कर सकती है।