आप सर्दियों के मौसम में बीच जंगल में खड़े हैं और तापमान शून्य से नीचे चला गया है। जमीन बर्फ से ढकी हुई है और पेड़ तथा झाड़ियां सपाट हैं। आमतौर पर गर्म मौसम में उड़ने या रेंगने वाले कीड़े कहीं नजर नहीं आते।
कीड़े मौसमी बदलाव से नहीं बचे रहते। तापमान उनके भोजन के लिहाज से बहुत कम होता है और ऐसे में वे जो पौधे या अन्य कीड़े खाएंगे वे वैसे भी दुर्लभ उपलब्ध होंगे। लेकिन मामला ये नहीं है।
वे अभी भी आपके चारों ओर हैं पेड़ों और झाड़ियों की छाल में, मिट्टी में, और कुछ बर्फ के नीचे पौधों से भी चिपके हो सकते हैं। तापमान बहुत कम होने से पहले कीड़ों को सर्दियों की तैयारी करनी होती है।
कुछ प्रजातियों के लिए, शीतनिद्रा जीवन का एक हिस्सा है। इन प्रजातियों की एक वर्ष में एक पीढ़ी होती है। अधिकतर कीटों को शीतनिद्रा में जाने का संकेत केवल अपने वातावरण से ही मिलता है।
यह एक प्रजाति को एक वर्ष में कई पीढ़ियां पैदा करने की अनुमति देता है जिनमें से केवल एक को सर्दी का अनुभव होता है। तापमान कोई विशेष विश्वसनीय संकेत नहीं है। सर्दियों में तापमान ठंडा हो जाता है, लेकिन सप्ताह-दर-सप्ताह इसमें काफी अंतर हो सकता है।
शीतनिद्रा में कई रणनीतियां शामिल होती हैं। ये जंतुओं के इस विशाल वर्ग को, जिसमें लगभग 55 लाख प्रजातियां शामिल हैं, पृथ्वी की शांत भूमध्य रेखा से दूर ठंड से निपटने में सक्षम बनाती हैं।
कुछ कीड़े उन स्थानों पर शीतनिद्रा में चले जाते हैं जहां उन पर कम तापमान का ज्यादा असर नहीं होता, जबकि अन्य ठंड से बचने या सहन करने के लिए अपने शरीर के भीतर परिवर्तन से गुजरते हैं।
वर्ष के इस समय में लगभग कोई आहार उपलब्ध नहीं होता और कीड़े आम तौर पर अपनी शीतनिद्रा के दौरान आहार नहीं लेते। सर्दियां महीनों तक चल सकती हैं।
कीड़ों में ऊर्जा की खपत भी तापमान पर निर्भर होती है। जैसे ही सर्दियों में थोड़ी गर्मी महसूस होती है, एक कीट शीतनिद्रा समाप्त करने से पहले अपने ऊर्जा भंडार को खत्म करने का जोखिम उठाता है।