बॉलीवुड के एक्टर अक्सर भारत के विभिन्न कोनों की कहानियों को पर्दे पर जीवंत करते हैं। लेकिन कुछ सितारे ऐसे भी हैं जिनके लिए अपने गृहनगर से जुड़ाव सिर्फ एक भूमिका निभाने से कहीं ज्यादा है। ये कलाकार न केवल अपनी जड़ों से प्रेरणा लेते हैं, बल्कि अपनी कला और जीवन में अपने गृहनगर की झलक भी शामिल करते हैं। चाहे ग्रामीण संघर्षों को दिखाना हो, शहरी आकर्षण प्रस्तुत करना हो या सांस्कृतिक गर्व का प्रदर्शन करना हो, ये कलाकार अपने मूल स्थान के प्रति सच्चे रहते हैं।
मुंबई में जन्मे विक्की कौशल अपने पंजाबी विरासत और संस्कृति को अपने किरदारों में बड़े सहजता से पिरोते हैं। उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक में बहादुर मेजर विहान सिंह शेरगिल से लेकर मसान के गहरे भावुक दीपक तक, उनके हर किरदार में उनकी जड़ों का प्रभाव झलकता है। विक्की अपने सांस्कृतिक पहचान पर गर्व करते हैं और इसे अपने व्यक्तित्व का अभिन्न हिस्सा मानते हैं।
चंडीगढ़ के निवासी आयुष्मान खुराना अपने काम में अपनी जड़ों को खूबसूरती से शामिल करते हैं। विक्की डोनर के प्यारे बॉय-नेक्स्ट-डोर से लेकर आर्टिकल 15 और शुभ मंगल ज्यादा सावधान के सामाजिक रूप से जागरूक किरदारों तक, उनकी भूमिकाओं में उनकी परवरिश की सादगी और गर्माहट साफ झलकती है। उनकी कला, संगीत और कविताएं उनके गृहनगर की सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाती हैं।
मनोज बाजपेयी का सफर बेतिया से बॉलीवुड तक संघर्ष और सच्चाई की मिसाल है। द फैमिली मैन के श्रीकांत तिवारी हो या सत्या के भीकू म्हात्रे, उनके किरदारों में वह गहराई और तीव्रता है जो उनके छोटे शहर की पृष्ठभूमि से आती है। मनोज अक्सर अपने गृहनगर का दौरा करते हैं और वहां की प्रतिभा को बढ़ावा देने में सक्रिय रहते हैं।
पंकज त्रिपाठी के प्रदर्शन में उनकी बेलसंड, बिहार की सादगी और जड़ें साफ झलकती हैं। मिर्जापुर में एक सशक्त पिता की भूमिका हो या गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल में एक उलझनभरे पिता का किरदार, उनके पात्रों में वह सहजता है जो उनकी जड़ों की देन है। पंकज अक्सर अपने इंटरव्यू में अपने गांव के प्रति प्रेम और ग्रामीण भारत से अपने गहरे संबंध का जिक्र करते हैं।
श्रीगंगानगर की रंगीन धरती से ताल्लुक रखने वाले सोहम शाह अपने काम में छोटे शहरों की भावना को जीवंत करते हैं। तुम्बाड और महारानी जैसे प्रोजेक्ट्स में उनके किरदार अक्सर साधारण पृष्ठभूमि के लोगों की चुनौतियों और सपनों को दर्शाते हैं। सोहम अपने गृहनगर की संस्कृति पर गर्व करते हैं और वहां अक्सर जाते रहते हैं।