Mahakumbh 2025: दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन महाकुंभ का जहां पर आगाज होने जा रहा है वहीं पर प्रयागराज की पावन धरती पर इस बड़े कुंभ का अलग ही महत्व होता है। प्रयागराज में घाटों का महत्व सबसे ज्यादा है चलिए जानते है इसके बारे में...
त्रिवेणी घाट- महाकुंभ की स्थली प्रयागराज में त्रिवेणी घाट की महिमा सबसे ज्यादा जानी जाती है कहते है जीवन में एक बार त्रिवेणी के तट पर आकर स्नान करना चाहिए। यहां पर त्रिवेणी घाट पर गंगा यमुना, सरस्वती का ऐसा समागम है कि साक्षात ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
दशाश्वमेध घाट- प्रयागराज में सबसे खास घाटों में से एक दशाश्वमेध घाट है कहा जाता है कि, सृष्टि की प्रथम यज्ञ स्थली होने के कारण ही इसे प्रयाग कहा गया।इस घाट पर धर्मराज युधिष्ठर ने दस यज्ञ कराए थे। उसके पहले ब्रह्माजी ने भी यहां यज्ञ किया था। इसीलिए इस घाट को दशाश्वमेध घाट कहा जाता है।यहां एक साथ दो शिवलिंगों ब्रह्मेश्वर और दशाश्वेवर की पूजा होती है.
रसूलाबाद घाट -प्रयागराज में घाटों में यह घाट सबसे खास है जहां पर उत्तरी क्षेत्र में स्थित रसूलाबाद मुहल्ले में गंगा तट पर है। यहां साल भर लोग स्नान करते हैं। यहां पर अंतिम संस्कार भी किया जाता है। अंतिम संस्कार होने के कारण इस घाट का ऐतिहासिक महत्व भी है।
सरस्वती घाट- प्रयागराज में सबसे खास घाटों में से एक यह घाट है इसमें अकबर के किले के करीब यमुना नदी के तट पर यह घाट स्थित है। समीप में एक रमणीक पार्क भी बनाया गया है। यहां पर लोग स्नान के अलावा नौकायन के लिए भी जाते हैं। यहां से संगम जाने के लिए हर समय नाव मिलती हैं।
रामघाट- प्रयागराज का संगम क्षेत्र सबसे खास है इसमें ही गंगा पर स्थित है। त्रिवेणी क्षेत्र स्थित काली सड़क से यहां सीधे पहुंचा जा सकता है। दैनिक स्नानार्थियों की सर्वाधिक भीड़ इस घाट पर होती है।