महाशिवरात्रि भारतीयों का एक प्रमुख त्योहार है। यह भगवान शिव का प्रमुख पर्व है। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है। माना जाता है कि सृष्टि का प्रारंभ इसी दिन से हुआ था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन सृष्टि का आरंभ अग्निलिंग के उदय से हुआ। आज 26 फरवरी को महाशिवरात्रि की धूम में सभी मगन हैं।
महाशिवरात्रि में भगवान शिव की महाशिवरात्रि मनाने के दो कारण हैं। इस दिन भगवान शंकर का विवाह हुआ था और दूसरा, फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी की रात आदिदेव करोड़ों सूर्यों के समान प्रभाव वाले ज्योतिर्लिंग रूप में प्रकट हुए थे। बाद में भक्तों के कल्याण के लिए, उनके गुहार और मनुहार पर भगवान ज्योतिर्लिंग रूप में प्रकट हुए। भारत के उत्तर से लेकर दक्षिण छोर तक बाबा उपस्थित हैं।
ये 12 ज्योतिर्लिंग देश के अलग-अलग शहरों में हैं, जिनमें गुजरात का सोमनाथ और नागेश्वर मंदिर, आंध्र प्रदेश का मल्लिकार्जुन मंदिर, मध्य प्रदेश का महाकालेश्वर और ओंकारेश्वर मंदिर, उत्तराखंड का केदारनाथ मंदिर, महाराष्ट्र का भीमाशंकर और त्र्यंबकेश्वर मंदिर, उत्तर प्रदेश का काशी विश्वनाथ मंदिर, झारखंड का वैद्यनाथ मंदिर, तमिलनाडु का रामेश्वरम और महाराष्ट्र का घुश्मेश्वर मंदिर शामिल हैं।
आइए आज जानते हैं तस्वीरों के माध्यम से महाराष्ट्र में स्थित 3 ज्योतिर्लिंग के बारे में और देखते हैं कैसा है यहां का भक्तिमय माहौल। महाराष्ट्र के पुणे में भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग स्थित है। महाराष्ट्र के त्र्यंबकेश्वर में एक ज्योतिर्लिंग है। और घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से प्रख्यात दौलताबाद में स्थित है। आज सुबह से ही यहां भक्तों की भारी भीड़ रही, तो वहीं तैयारियों के लिए कई दिनों से यहां पर सेवकों का भी तांता लगा रहा है।
बात भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की जो महाराष्ट्र के पुणे जिले में सह्याद्रि पर्वत पर स्थित है। इन्हें मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि रावण के भाई कुंभकर्ण के पुत्र भीम ने पिता की मृत्यु से कुपित होकर तप करके ब्रह्मा जी को प्रसन्न किया और वरदान प्राप्त किया।
महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित है त्र्यंबकेश्वर धाम। यह ब्रह्मगिरि पर्वत पर स्थित है। मान्यता के अनुसार, यहां ब्रह्मा, विष्णु और महेश की पूजा एक साथ होती है। गौतम ऋषि के तप से प्रसन्न होकर शिव जी प्रकट हुए थे।
महाराष्ट्र के औरंगाबाद के पास दौलताबाद क्षेत्र में स्थित हैं घुश्मेश्वर या घृसणेश्वर ज्योतिर्लिंग। मान्यता है कि संतान की अभिलाषा रखने वाले दंपति यहां से खाली हाथ नहीं जाते। कथा ब्राह्मण दंपति सुधर्मा और सुदेहा से जुड़ी है। संतान प्राप्ति के लिए सुदेहा ने अपनी बहन घुश्मा का विवाह पति से कराया। घुश्मा शिवभक्त थी। उसे पुत्र प्राप्ति हुई लेकिन बहन ने ईर्ष्या वश उसे मार दिया। घुश्मा ने शिव आराधना की और प्रसन्न होकर भगवान ने प्रकट हुए और जीवित पुत्र लौटा दिया। तभी से वो यहां विराजमान हैं।
पुराणों के अनुसार, यह भी मान्यता है कि जो इंसान रोजाना प्रात:काल उठकर इन 12 ज्योतिर्लिंगों के नाम का पाठ करता है, उसके सभी प्रकार के पाप खत्म हो जाते हैं और उसे संपूर्ण सिद्धियों का फल प्राप्त होता है। इसी के मद्देनजर आज महाराष्ट्र के इन भीमाशंकर, त्र्यंबकेश्वर और घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग में भक्तों की भारी भीड है और सभी आस्था के साथ पुजा और दर्शन कर रहे है।