राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, भारत का सबसे प्रतिष्ठित फिल्म पुरस्कार, हमेशा से बेहतरीन सिनेमा के लिए एक मानदंड रहा है। वर्षों से, कई अभिनेत्रियों को उनके अद्भुत प्रदर्शन के लिए इस प्रतिष्ठित सम्मान से नवाजा गया है। यहां हाल ही में पुरस्कार जीतने वाली कुछ अभिनेत्रियों की सूची दी गई है, जिनकी भूमिकाओं ने भारतीय फिल्म उद्योग पर अमिट छाप छोड़ी है।
नित्या मेनन को तमिल फिल्म थिरुचित्रंबलम (2022) में उनके शानदार प्रदर्शन के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। उन्होंने एक जटिल किरदार निभाया, जो प्रेम और व्यक्तिगत चुनौतियों का सामना कर रही थी। उनकी सहज और प्रभावशाली अदाकारी ने फिल्म में एक अनूठा आकर्षण जोड़ा और दर्शकों का दिल जीत लिया।
दिवंगत श्रीदेवी को 2018 में उनकी फिल्म मॉम के लिए मरणोपरांत सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया। इस फिल्म में उन्होंने अपनी बेटी के लिए न्याय की लड़ाई लड़ रही मां की भूमिका निभाई। उनका यह दमदार और संवेदनशील अभिनय उनकी शानदार विरासत को और मजबूत करता है, और उन्हें भारतीय सिनेमा की सबसे महान अभिनेत्रियों में से एक बनाता है।
2023 में, कृति सेनन को मिमी (2021) में उनकी भूमिका के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। फिल्म में उन्होंने एक सरोगेट मां का किरदार निभाया, जो अप्रत्याशित परिस्थितियों से जूझती है। कृति की भावुक अदाकारी और हास्य व गहराई के बीच बेहतरीन संतुलन ने दर्शकों और आलोचकों से खूब प्रशंसा बटोरी, और उनकी बहुमुखी प्रतिभा को साबित किया।
आलिया भट्ट ने संजय लीला भंसाली की फिल्म गंगूबाई काठियावाड़ी (2022) में अपनी जबरदस्त भूमिका के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय पुरस्कार जीता। आलिया ने एक ऐसी महिला का किरदार निभाया जो विपरीत परिस्थितियों से उभरकर मुंबई के अंडरवर्ल्ड में एक प्रभावशाली व्यक्तित्व बनती है। उनके इस गहराई और ताकत से भरे प्रदर्शन ने उन्हें बॉलीवुड की बेहतरीन अभिनेत्रियों में शुमार कर दिया।
पल्लवी जोशी को द कश्मीर फाइल्स में उनके दमदार प्रदर्शन के लिए 2022 में सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री के राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अलावा, उन्होंने द ताशकंद फाइल्स (2021) में भी सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का राष्ट्रीय पुरस्कार जीता था। 1992 में उन्होंने वो चोकरी के लिए विशेष जूरी पुरस्कार भी जीता। द कश्मीर फाइल्स में पल्लवी ने कश्मीरी पंडित समुदाय के पलायन के दौरान संघर्ष कर रही एक मां की दुखद यात्रा को बेहद संवेदनशीलता के साथ प्रस्तुत किया। उनका यह भावनात्मक और सशक्त प्रदर्शन दर्शकों के दिलों को छू गया।