नागपंचमी का त्योहार इस साल 9 अगस्त को मनाया जाएगा इस दिन नागदेवता की विधि-विधान से पूजा का महत्व होता है। अगर आप अपनी कुंडली में कालसर्प दोषों से परेशान है और आपका कोई भी काम सही से नहीं हो रहा है तो इसके लिए निवारण पूजा कर सकते है। वैसे तो इसकी पूजा में घर में नियमों के साथ की जा सकती है लेकिन भारत में भगवान शिव के ऐसे मंदिर है जहां पर काल सर्प निवारण की पूजा होती है।
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग- मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर में स्थित यह मंदिर भगवान शिव की 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है यहां पर कालसर्प दोष से मुक्ति होती है। यहां कुंडली के दोष विधि-विधान से पूजा करने के बाद पूरे हो जाते है।
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग- यह मंदिर महाराष्ट्र के नासिक में स्थित है जहां पर भगवान शिव की आराधना के साथ ही कुंडली में होने वाले कालसर्प दोष दूर होते है। इसकी मान्यता पूरे देश में है जिसके लिए लोग बड़ी दूर-दूर से कालसर्प दोष शांति की पूजा कराने के यहां पर आते है।
तक्षकेश्वर मंदिर- यह मंदिर उत्तर प्रदेश के प्रयागराज शहर में यमुना किनारे स्थित है जहां पर नागपंचमी औऱ महाशिवरात्रि पर व्यक्ति की कुंडली में होने वाले कालसर्प दोष का निवारण किया जाता है। यहां पर सर्पजाति के स्वामी श्री तक्षक नाग का पावन तीर्थ है. मान्यता है कि भगवान शिव के इस पावन मंदिर में नागों का जोड़ा चढ़ाने और विधि-विधान से उनकी पूजा करने पर व्यक्ति की कुंडली में स्थित कालसर्प दोष दूर होता है।
ओंकारेश्वर- मध्यप्रदेश में ही भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग है जहां पर कालसर्प दोष से निवारण की पूजा विधि विधान से की जाती है। इतना हीं नहीं मान्यता के अनुसार, कालसर्पदोष की शांति के लिए 1001 पार्थिव शिवलिंग बनाकर कालसर्प दोष की शांति कराई जाती है।