Shiv Shakti Rekha: देवों के देव महादेव का नाम सदा लिया जाता है इनके बिना शायद ही काज पूरे होते है। केदारनाथ धाम को भगवान शिव के पंचभूत मंदिरों में गिना जाता है जो मंदिर शिवशक्ति रेखा पर स्थापित है। यह सभी 7 शिव मंदिरों का निर्माण 4 हजार साल पहले हुआ था जहां पर पांच तत्वों का मेल मिलता है। इन मंदिर की स्थापना भले अलग मानी जाती है लेकिन सभी सीधी रेखा पर स्थापित है जिसे शिवशक्ति रेखा कहते है। इन मंदिरों के बीच में मध्यप्रदेश के उज्जैन का महाकाल मंदिर स्थित है। इसे भारत का सेंट्रल मेरिडियन कहते है।
1. केदारनाथ- यहां पर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक यह मंदिर शिवशक्ति रेखा पर स्थापित किया गया है। यह मंदिर उत्तराखंड के रूद्रप्रयाग जिले में स्थित है तो वहीं पर इसका निर्माण महाभारत काल में पांडवों द्वारा किया गया था जिसे बाद में आदिशंकाराचार्य ने पुनर्स्थापित किया है। कहते हैं कि, चार धाम यात्रा शुरू होने के साथ ही 6 महीने बाद मंदिर के कपाट खुलते है और यहां पर कपाट बंद होने तक मंदिर के अंदर दीपक जलता रहता है। यहां पर मंदिर में किसी तरह की हलचल नहीं नजर आती है।
2. श्रीकालाहस्ती मंदिर- यह मंदिर आंध्रप्रदेश के चित्तूर में स्थित है जिसे वायु तत्व का प्रतीक माना जाता है। इस मंदिर को राहू-केतु मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. यहां पर लोग राहू पूजा व शांति हेतु आते हैं। यहां स्थापित शिवलिंग वायु तत्त्व का प्रतीक माना जाता ह इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग को स्पर्श नहीं किया जाता है औऱ तीन पशुओं, श्री यानी मकड़ी, काल यानी सर्प तथा हस्ती यानी हाथी के नाम पर रखा गया है।
3- एकम्बरेश्वर मंदिर- शिवशक्ति रेखा पर स्थापित यह मंदिर तमिलनाडु के कांजीपुरम में स्थित है। इसे भगवान शिव के धरती तत्व के रूप में जाना जाता है। कहते हैं कि, इस मंदिर का निर्माण पल्लव राजाओं ने किया था। इस मंदिर की खासियत यह है कि, यहां पर मार्च और अप्रैल के महीनों के दौरान सूर्य की किरणें सीधे एकम्बरेश्वर मंदिर के मुख्य शिवलिंग पर पड़ती हैं।
4- अरुणाचलेश्वर मंदिर-यह मंदिर तमिलनाडु के तिरुवन्नामलई नगर में स्थित है जिस मंदिर का निर्माण चोलवंशी राजाओं ने किया था। यह मंदिर अग्नि का प्रतिनिधितत्व करता है। एक बार जब माता पार्वती ने चंचलतापूर्वक भगवान शिव से अपने नेत्र बंद करने के लिए कहा तो उन्होंने अपने नेत्र बंद कर लिए और इस कारण पूरे ब्रह्मांड में कई हजारों वर्षों के लिए अंधकार छा गया। यहां पर अंधेरे को दूर करने के लिए अग्नि स्तंभ के रूप में दिखाई दिए इसलिए इस मंदिर का निर्माण हुआ है।
5. श्री थिल्लई नटराज मंदिर- यह मंदिर तमिलनाडु के चिदंबरम में स्थित है तो वहीं पर इस मंदिर को आकाश तत्व का प्रतीक माना जाता है। इस मंदिर में भगवान शिव के नटराज रूप में पूजा की जाती है। इस मंदिर में शिव मूर्ति की खासियत यह है कि यहां नटराज आभूषणों से लदे हुए हैं. ऐसी शिव मूर्तियां भारत में कम ही देखने को मिलती हैं।
6. जम्बुकेश्वर मंदिर- यह मंदिर तमिलनाडु के तिरूचिरापल्ली में स्थापित है जिसे काफी पुराना करीबन 1800 साल पुराना बताया जाता है। यह मंदिर पांच तत्वों में से एक जल तत्व का प्रतिनिधित्व करता है। कहते हैं कि, इस मंदिर के गर्भगृह में एक जल की धारा हमेशा बहती रहती है। माता पार्वती ने शिव ज्ञान की प्राप्ति के लिए पृथ्वी पर आकर इसी स्थान पर अपने हाथ से शिवलिंग बनाकर तपस्या की थी। इसके अलावा कहते हैं कि मंदिर की दीवारें बनवाने के लिए भोलेनाथ स्वयं ही आते थे।
7. रामेश्वरम- यह मंदिर तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित है और रामेश्वरम मंदिर को रामनाथ स्वामी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. यह पवित्र स्थान भारत के प्रमुख चार धामों में से एक है। इस शिवलिंग की महिमा शिव पुराण और स्कन्द पुराण में भी मिलती है. रामेश्वरम मंदिर का निर्माण द्रविड़ शैली में किया गया है।