ओडिशा के मुख्यमंत्री पद के संभावित उम्मीदवार
भुवेश्वर: कौन बनेगा ओडिशा का मुख्यमंत्री जानने से पहले हम इस राज्य के राजनैतिक इतिहास और भूगोल को समझ लेते हैं। ओडिशा राज्य की स्थापना 1 अप्रैल 1936 को हुआ था। यह पहले बंगाल प्रेसीडेंसी का हिस्सा हुआ करता था। काफी संघर्ष के बाद ओडिशा को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला था तब जाकर यह बंगाल और बिहार से होकर नया स्टेट बन पाया।
ओडिशा विधानसभा का पहला चुनाव
ओडिशा विधानसभा का पहला चुनाव 1952 में हुआ था। 2024 ओडिशा का 17 वीं विधानसभा चुनाव है। यह चुनाव बीजेपी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। यह पहली बार है जब राज्य में भाजपा को बहुमत प्राप्त हुआ है। राज्य में ज्यादातर समय के लिए कांग्रेस का दबदबा रहा। नवीन पटनायक के बीजू जनता दल यानी बीजद पार्टी के गठन के बाद से कांग्रेस यहां हासिये पर जाती दिखी।
बीजद के गठन के बाद कांग्रेस धाराशाई
बीजद के गठन के बाद भी कांग्रेस सबसे ज्यादा सीट लाने वाली पार्टी रही पर ओडिशा में सरकार नहीं बना सकी। बीजद और बीजेपी ने के सहयोग से नवीन पटनायक साल 2000 में पहली बार ओडिशा के मुख्यमंत्री बने। इसके बाद लगातार 24 सालों तक वे ओडिशा के मुख्यमंत्री के तौर पर कार्यरत रहें।
कभी मेल मिलाप तो कभी मन मुटाव
बीजद और बीजेपी भले से एक दूसरे के साथी रहे पर बीच- बीच में दोनों पार्टियों के मेल-मिलाप और मन-मुटाव चलता ही रहता था। ये कभी साथ आते तो कभी अकेले चुनाव लड़ने का फैसला करते हैं। 2024 के चुनाव में भी ही ऐसे हुआ। सीट बंटवारे को लेकर बात नहीं बनी तो दोनों पार्टियां फिर से एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ीं। इस बार दांव बीजेपी ने मारी।
बीजेपी को पूर्ण बहुमत
ओडिशा विधानसभा चुनाव 2024 में बीजेपी 147 में से 78 यानी बहुमत से ज्यादा सीट हासिल की है। यही नहीं लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी ने प्रदर्शन करते हुए 21 में से 19 सीटों पर जीत दर्ज की। अब चर्चा ये है कि ओडिशा में मुख्यमंत्री पद के लिए बीजेपी के कौन से नेता का चेहरा सामने आएगा। हालांकि मुख्यमंत्री पद के लिए केंद्र में नरेंद्र मोदी के दाेनों कार्यकाल में केंद्रीय मंत्री रहे धर्मेंद्र प्रधान, बैजयंत पांडा, अपराजिता सारंगी और प्रताप सारंगी का नाम आगे आ रहा है।
ओडिशा मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवारों में इनका नाम आगे
धर्मेंद्र प्रधान
सूत्रों का मानना है कि 10 साल तक केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री और शिक्षा मंत्री रह चुके धर्मेंद्र प्रधान सीएम पद की दौड़ में दूसरों से आगे हैं। उन्होंने ही ओडिशा अस्मिता अभियान की अगुआई की थी। धर्मेंद्र प्रधान ने 2000 में विधायक चुने जाने के बाद राजनीति में अपना करियर शुरू किया था। 2004 में वे ओडिशा के देवगढ़ से लोकसभा सांसद चुने गए।
2009 में वे पल्लाहारा विधानसभा सीट से हार गए। इसके बाद उन्हें बिहार और फिर मध्य प्रदेश से राज्यसभा के लिए चुने गया। प्रधान बिहार में चुनाव प्रभारी और कर्नाटक, उत्तराखंड, झारखंड और ओडिशा में पार्टी मामलों के प्रभारी के तौर पर भी काम किया है।
बैजयंत पांडा
बैजयंत पांडा बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। ये भी ओडिशा के मुख्यमंत्री पद के लिए एक प्रमुख उम्मीदवार हैं। इन्होंने इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट के बैकग्राउंड के साथ मिशिगन टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएटेड किया है। पांडा का सियासत में एंट्री करने से पहले एक सफल कॉर्पोरेट करियर रहा है। वे बीजेडी से एक बार राज्यसभा सांसद और दो बार लोकसभा सांसद रहे। माना जाता है कि पांडा को आरएसएस के टॉप नेताओं का ठोस समर्थन प्राप्त है।
इसलिए उन्हें सीएम पद के उम्मीदवारों में से एक माना जा रहा है। पांडा 6 साल पहले बीजेपी में शामिल हुए। 2019 में पांडा केंद्रपाड़ा लोकसभा सीट से चुनाव लड़े और वे हार गए। 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने बीजेडी के अंशुमान मोहंती को 66,536 मतों से हराया है।
अपराजिता सारंगी
भाजपा नेता अपराजिता सारंगी ने भुवनेश्वर से कांग्रेस नेता यासिर नवाज और बीजेडी के नेता मनमथ राऊथे को करारी हार हराया है। अपराजिता को 512519 वोट मिले, जबकि मनमथ राउतरे को 477367 वोटों और सय्यद यासिर नवाज को 66362 वोट ही मिल पाया।
अपराजिता सारंगी एक गवर्नमेंट सर्वेंट रही हैं। उनके पति भी गवर्नमेंट सर्वेंट हैं। इसके अलावा वे सामाजिक कार्यों में भी काफी एक्टिव रहती हैं। अपराजिता ने साल 1990 में बिहार की भागलपुर यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया है।
प्रताप सारंगी
बालासोर के सांसद प्रताप सारंगी को भी ओडिशा के मुख्यमंत्री पद की दौड़ में एक अहम चेहरा माना जा रहा है। वे 2022 में जल संसाधन संबंधी स्थायी समिति के सदस्य थे। साल 2019 से 2021 तक उन्होंने केंद्रीय राज्य मंत्री, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय और का पद संभाला।