असम के कार्बी आंगलोंग में हिंसा (Image- Social Media)
Assam Violence: बांग्लादेश में जारी बवाल के बीच अब असम में भी अशांति फैल गई है। असम के संवेदनशील माने जाने वाले कार्बी आंगलोंग जिले में एक बार फिर हिंसा भड़क उठी है। राज्य में भड़की इस हिंसा ने अब लोगों की जान लेनी शुरू कर दी है। कार्बी आंगलोंग जिले में मंगलवार को हुई हिंसा में दो लोगों की मौत हो गई, जबकि 38 पुलिसकर्मियों समेत कम से कम 45 लोग घायल हुए हैं। इसके अलावा, प्रदर्शनकारियों ने जमकर उत्पात मचाया और कई जगहों पर आगजनी की। हालात काबू में लाने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज भी करना पड़ा। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि पूरे असम में तनाव का माहौल बन गया। अब सवाल यह है कि असम में यह हिंसा आखिर क्यों फैली? राज्य में यह खून-खराबा किस वजह से हुआ? आइए, इसे बिंदुवार समझते हैं। सबसे पहले जानते हैं कि असम में वास्तव में क्या हुआ।
असम के पश्चिम कार्बी आंगलोंग जिले में मंगलवार को स्थिति तब और गंभीर हो गई, जब अतिक्रमण हटाने की मांग को लेकर शुरू हुआ आंदोलन हिंसक झड़प में बदल गया। प्रदर्शन की आड़ में उपद्रवियों ने दुकानों में लूटपाट की, वाहनों को आग के हवाले कर दिया और यहां तक कि कार्बी आंगलोंग स्वायत्त परिषद के मुख्य कार्यकारी सदस्य के घर को भी जला दिया। हालात पर काबू पाने के लिए प्रशासन ने इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दीं और कर्फ्यू लागू कर दिया। हालांकि, स्थिति अब भी तनावपूर्ण बनी हुई है। इलाके में शांति बहाल करने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती की जाएगी।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, प्रदर्शनकारियों ने एक इमारत में आग लगा दी, जहां से 25 वर्षीय दिव्यांग युवक सुरेश डे का शव बरामद किया गया। झड़प के दौरान अथिक तिमुंग नामक एक अन्य व्यक्ति की भी मौत हो गई। प्रदर्शनकारी आदिवासी इलाकों से अतिक्रमणकारियों को हटाने की मांग कर रहे थे। इसी मांग को लेकर स्थानीय लोग बीते कुछ दिनों से आंदोलन कर रहे थे, जो मंगलवार को हिंसा में बदल गया।
कार्बी आंगलोंग जिले में हिंसा
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, “मैं पश्चिम कार्बी आंगलोंग की स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए हूं। आज की अशांति में दो लोगों की मौत बेहद दुखद है।” उन्होंने बताया कि शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए बुधवार को खेरानी क्षेत्र में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए जाएंगे।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा, “स्थिति सामान्य करने और बातचीत के जरिए समाधान निकालने के लिए हम सभी संबंधित पक्षों के संपर्क में हैं। शोकाकुल परिवारों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं हैं। सरकार सभी प्रभावित परिवारों के साथ खड़ी है और उन्हें हरसंभव मदद दी जाएगी।”
पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) हरमीत सिंह ने मीडिया को बताया कि उन्होंने प्रदर्शनकारियों से बातचीत की थी और उन्होंने हिंसा न करने का आश्वासन दिया था। लेकिन बाद में वे बम फेंकने, तीर चलाने और दुकानों में आग लगाने लगे। इस हिंसा में आईपीएस अधिकारियों समेत 38 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। डीजीपी ने कहा कि अगर प्रदर्शनकारी कानून अपने हाथ में लेंगे तो पुलिस को सख्त कदम उठाने पड़ेंगे। उन्होंने समाज के सभी वर्गों से अपील की कि वे भटके हुए युवाओं को समझाएं, क्योंकि हिंसा किसी समस्या का समाधान नहीं है।
अधिकारियों के मुताबिक, निषेधाज्ञा के बावजूद खेरोनी बाजार इलाके में बच्चों और महिलाओं सहित बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतर आए। ये वे लोग थे जिनकी दुकानें सोमवार को जला दी गई थीं। वहीं, आदिवासी क्षेत्रों से अतिक्रमण हटाने की मांग करने वाले आंदोलनकारी भी उसी इलाके में इकट्ठा हो गए। स्थिति को देखते हुए कार्बी आंगलोंग जिले में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि दोनों पक्षों में काफी आक्रोश था और तैनात सुरक्षा बल उन्हें शांत करने का प्रयास कर रहे थे। इसी दौरान अचानक दोनों गुटों ने एक-दूसरे पर पथराव शुरू कर दिया, जिसमें कई प्रदर्शनकारी, पुलिसकर्मी और मीडियाकर्मी घायल हो गए। हालात बेकाबू होने पर पुलिस को भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज करना पड़ा और आंसू गैस के गोले छोड़े गए। इससे पहले प्रदर्शनकारियों ने खेरोनी इलाके में दो मोटरसाइकिलों को आग लगा दी थी।
असम के पश्चिम कार्बी आंगलोंग जिले में हिंसक अशांति
स्थिति को और बिगड़ने से रोकने के लिए मंगलवार को कार्बी आंगलोंग और पश्चिम कार्बी आंगलोंग दोनों जिलों में इंटरनेट सेवाएं अस्थायी रूप से बंद कर दी गईं। इससे पहले प्रदर्शनकारियों ने मंत्री रानोज पेगु के साथ बातचीत के बाद आदिवासी क्षेत्रों से अतिक्रमण हटाने की मांग को लेकर चल रही अपनी भूख हड़ताल समाप्त कर दी थी। कार्बी आंगलोंग जिले में एक बार फिर हुई हिंसा से माहौल गर्म बना हुआ है।
विभिन्न राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों से जुड़े आंदोलनकारी कार्बी आंगलोंग और पश्चिम कार्बी आंगलोंग जिलों में व्यावसायिक चरागाह आरक्षित क्षेत्र (PGR) और ग्राम चरागाह आरक्षित क्षेत्र (VGR) में अवैध रूप से रह रहे लोगों को हटाने की मांग कर रहे थे। इसी मांग को लेकर वे पिछले 15 दिनों से भूख हड़ताल पर थे। मंत्री पेगु ने उनसे बातचीत कर भरोसा दिलाया कि इस मुद्दे पर जल्द ही त्रिपक्षीय वार्ता होगी, जिसके बाद आंदोलनकारियों ने अपना अनशन समाप्त कर दिया। उन्होंने यह भी बताया कि इस वार्ता में मुख्यमंत्री स्वयं शामिल होंगे।
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सोमवार को दीफू में उग्र प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच हुई झड़प में एक पुलिसकर्मी समेत चार लोग घायल हो गए थे। इस दौरान कार्बी आंगलोंग स्वायत्त परिषद (KAAC) के प्रमुख तुलीराम रोंगहांग के आवास और खेरोनी बाजार की लगभग 15 दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया था।