नरेंद्र मोदी (फोटो-सोशल मीडिया)
नई दिल्लीः भारत में इस बार मानसून समय से पूर्व आ गया है। यह मानसून कुछ लोगों के लिए खुशियां लाया है तो वहीं कुछ लोगों के आफत बन गया है। उत्तर भारत में मानसून का बेसब्री से इंतजार हो रहा, लेकिन पूर्वोत्तर के राज्यों में बारिश ने भारी तबाही मचाई है। असम, सिक्किम, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। केंद्र सरकार ने बाढ़ से जूझ रहे सभी राज्यों को हर संभव मदद का भरोसा दिया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारी बारिश के बाद बाढ़ से जूझ रहे पूर्वोत्तर के राज्यों को हरसंभव मदद की पेशकश की है। अधिकारियों ने मंगलवार को प्रधानमंत्री मोदी ने असम और सिक्किम के मुख्यमंत्रियों हिमंत विश्व शर्मा और प्रेम सिंह तमांग तथा मणिपुर के राज्यपाल अजय भल्ला से बात कर स्थिति का जायजा लिया।
पूर्वोत्तर के राज्यों को प्रधानमंत्री ने दिया मदद का भरोसा
प्रधानमंत्री ने उन्हें केंद्र की ओर से हरसंभव मदद और समर्थन का आश्वासन दिया। पूर्वोत्तर में बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है। पिछले कुछ दिनों में भारी बारिश के कारण आई बाढ़ और भूस्खलन के कारण मरने वालों की संख्या सोमवार को बढ़कर 36 हो गई, जबकि क्षेत्र के कई राज्यों में 5.5 लाख से अधिक लोग प्रभावित हैं। असम के मुख्यमंत्री ने फोन पर मोदी के साथ हुई बातचीत के दौरान उन्हें बताया कि असम और आसपास के राज्यों में लगातार बारिश के कारण बाढ़ आई है और इसके कारण लोग प्रभावित हुए हैं।
बाढ़ की स्थिति से अवगत हुए पीएम मोदी
असम सीएम हिमंता ने सोशल मीडिया एक्स पर कहा कि थोड़ी देर पहले माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मुझे असम में मौजूदा बाढ़ की स्थिति के बारे में जानकारी लेने के लिए फोन किया।” मुख्यमंत्री ने उन्हें बताया कि असम और आसपास के राज्यों में लगातार बारिश के कारण बाढ़ आई है और इससे कई लोगों की जिंदगी प्रभावित हुई है। उन्होंने प्रधानमंत्री को राज्य सरकार द्वारा चलाए जा रहे राहत अभियान से भी अवगत कराया।
हिमंता ने प्रधानमंत्री का जताया आभार
शर्मा ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री ने चिंता व्यक्त की और हमारे राहत एवं पुनर्वास प्रयासों के लिए केंद्र सरकार से पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि असम के लोगों को प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन और उनके अटूट समर्थन के लिए आभारी हूं। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, राज्य में बाढ़ और भूस्खलन में अब तक 11 लोग मारे गए हैं, जबकि 20 से अधिक जिलों में 5.35 लाख से अधिक आबादी बाढ़ से प्रभावित हुए हैं।