हेमंत बिस्वा सरमा (फोटो- सोशल मीडिया)
दिसपुरः असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व सरमा यदि असम प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेन कुमार बोरा पत्र लिखकर उनसे गोमांस पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध करें तो वह ऐसा करने के लिए तैयार हैं। सीएम हिमंत शनिवार को मुस्लिम बहुल सामगुड़ी विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव जीतने के लिए भाजपा पर लगे गोमांस वितरित करने के आरोप पर प्रतिक्रिया देते कही। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि हमें खुशी है कि कांग्रेस ने इस मामले को उठाया। इस सीट पर पहले लगातार 5 बार कांग्रेस को जीत मिल चुकी है।
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सरमा ने शनिवार को भाजपा की बैठक के बाद पत्रकारों से कहा कि सामगुड़ी सीट 25 साल तक कांग्रेस के पास रही। सामगुड़ी जैसे निर्वाचन क्षेत्र में 27,000 मतों के अंतर से हारना कांग्रेस के इतिहास की सबसे बड़ी शर्म की बात है। यह भाजपा की जीत से ज्यादा कांग्रेस की हार है।”
गौरतलब है कि पिछले महीने हुए उपचुनाव में भाजपा के दिप्लू रंजन शर्मा ने कांग्रेस सांसद रकीबुल हुसैन के बेटे तंजील को 24,501 मतों के अंतर से हराया था। सांसद की कथित टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि दुख के बीच रकीबुल हुसैन ने एक अच्छी बात कही कि गोमांस खाना गलत है, है न? उन्होंने कहा है कि मतदाताओं को गोमांस परोसकर कांग्रेस-भाजपा का चुनाव जीतना गलत है।
बता दें की पूरे देश में भाजपा 2014 से गौकसी को मुद्दा बनाकर चुनाव लड़ रही है। खासकर हिंदी पट्टी में गौकसी के मुद्दे पर भाजपा को सफलता भी मिली है, लेकिन दक्षिण पूर्व के राज्यों की त्रिपुरा, असम, नागालैंड जैसे राज्यों में बड़ी संख्या बुचड़खाने चल रहे हैं। जिसमें गौकसी होती है। इस मुद्दे पर भाजपा की कई बार किरकिरी हो चुकी है। ऐसे में दक्षिण पूर्व के राज्यों में भाजपा गौकसी पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास तो कर रही है, लेकिन अभी तक इस पर कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए गए हैं।
शर्मा ने सवाल किया, ‘‘मैं जानना चाहता हूं कि क्या कांग्रेस मतदाताओं को गोमांस की पेशकश करके सामगुड़ी जीत रही थी। वह सामगुड़ी को अच्छी तरह से जानते हैं। क्या इसका मतलब यह है कि गोमांस की पेशकश करके सामगुड़ी जीता जा सकता है?” शर्मा ने कहा, ‘‘मैं रकीबुल हुसैन से कहना चाहता हूं कि गोमांस पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए, क्योंकि उन्होंने खुद कहा है कि यह गलत है। उन्हें मुझे केवल लिखित में देने की जरूरत है कि न तो भाजपा और न ही कांग्रेस को गोमांस के बारे में बोलना चाहिए, बल्कि असम में इसे प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। अगर हम ऐसा करते हैं, तो सभी समस्याएं हल हो जाएंगी।”