(डिज़ाइन फोटो)
कहानी: यह कहानी शुरू होती है गणित के टाचार शास्त्री जी (राजेश शर्मा) के खुशहाल परिवार के साथ जो अपने घर में अपनी दिवंगत पत्नी सुधा की यादों के सहारे रहते हैं। उनके साथ उनका बेटा नीलेश और बहु मधु भी है। आमतौर पर आज जैसा देखने को मिलता है कि बहु अपने ससुर के साथ नहीं रहना चाहती और अपने पति के साथ अलग घर में शिफ्ट होना चाहती है जिस वजह से वो शास्त्री जी को परेशान भी करती है। वहीं दूसरी ओर एक और किरदार है आयुष (समर्पण सिंह) जो अपनी प्रेमिका के साथ जल्द ही शादी करने वाला है। ये दोनों कहानियां एक हेल्थ कैंप पर आकर जुड़ती हैं जहां शास्त्री और आयुष को पता चलता है कि वे कैंसर से ग्रस्त हैं। इसके कारण फिल्म में काफी ड्रामा, इमोशन और कॉमेडी की स्थिति पैदा होती है जो आपको एंटरटेन करती है।
अभिमय: फिल्म में राजपाल यादव कैप्टन जहाज सिंह के रोल में और राजेश यादव जग्गू के रूप में दिखाई देते हैं। फैसल मलिक ने भैया जी की भूमिका और वर्षा रेखाते ने चारू का किरदार निभाया है। राजेश शर्मा और राजपाल यादव ने अपनी कॉमिक टाइमिंग से हमें खूब हंसाया। वहीं इस फिल्म से समर्पण सिंह अपना डेब्यू कर रहे हैं और वे भी बढ़िया परफॉर्मेंस देते हुए नजर आए।
फाइनल टेक: ये फिल्म जहां शुरू में हमें हैरान करती है वहीँ फर्स्ट हाफ के बाद ये हमें जमकर एंटरटेन करती है। इसकी कहानी थोड़ी स्लो है जोकि इसकी सबसे बड़ी कमी है। हालांकि जिस तरह की स्थिति इस कहानी में पैदा है ये एक मजेदार सिचुएशनल कॉमेडी फिल्म बनकर उभरती है। साथ ही राजपाल यादव और फैसल मलिक जैसे मंझे हुए कलाकार हमें एंटरटेन करने का कोई कसर नहीं छोड़ते हैं जिसके चलते ये फिल्म सिनेमाघरों में देखने योग्य बन जाती है।
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