अमित ठाकरे (सौजन्य-सोशल मीडिया)
नवभारत डेस्क: महाराष्ट्र के लिए 2024 राजनीतिक तौर पर बेहद खास रहा, जहां कई राजनीतिक गतिविधियां, कड़ी टक्कर और पक्ष-विपक्ष के बीच घमासान होता देखने मिला। इस साल 2024 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव ने कई नेताओं की जिंदगी बदल दी। किसी नेता का राजनीतिक स्तर बढ़ा दिया तो किसी को ऐसी हार मिली कि पार्टी का नाम तक खतरे में आ गया।
जी हां, पार्टी के नाम के साथ उसके चुनाव चिह्न और उसके वजूद पर भी प्रश्नचिह्न लग गया और अब कार्रवाई करने की तक नौबत आ गई। आज हम जिस पार्टी की बात कर रहे है वे महाराष्ट्र की टॉप पार्टियों में से एक है, लेकिन इस बार उसके किसी भी उम्मीदवार का जादू नहीं चल पाया। यहां तक कि पार्टी प्रमुख के बेटे को भी जनता ने नकार दिया। इस साल का चुनावी गलियारों का सबसे बड़ा मुद्दा बनकर रह गया।
हम आज जिस नेता के बारे में बात कर रहे है, उनका नाम है अमित ठाकरे। अमित ठाकरे महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे के बेटे है। राज ठाकरे का नाम जितना महाराष्ट्र में है, उसे देखते हुए भी उनके बेटे अमित ठाकरे को महाराष्ट्र की जनता ने नकार दिया।
आपको बताते चलें कि अमित ठाकरे महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे के सुपुत्र है और वे पहली बार चुनावी मैदान में उतरकर अपनी किस्मत आजमा रहे थे। अमित ठाकरे ने माहिम सीट से अपना पहला चुनाव लड़ा। ऐसे में सभी की नजरें इस सीट पर और खास कर अमित ठाकरे पर टिकी हुई थीं।
लेकिन, माहिम की जनता ने इस बार नए उम्मीदवार अमित ठाकरे पर भरोसा नहीं किया, जिससे वे बुरी तरह चुनाव हार गए। जनता ने अमित ठाकरे की जगह माहिम सीट पर शिवसेना(यूबीटी) के महेश बलिराम सावंत पर भरोसा जताया और उन्हें जीताया।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में पहले नंबर में रहते हुए महेश बलिराम सावंत को कुल 50,213 वोट मिले। इसके बाद दूसरे नंबर पर शिवसेना के सदा सरवणकर ने अपनी जगह कुल 48,897 वोट के साथ बनाई मिले। तीसरे नंबर पर एमएनएस के अमित ठाकरे केवल 33,062 वोट पर सिमट कर रह गए।
वैसे देखा जाए तो इस बार माहिम सीट से सबसे बड़ा झटका सदा सरवणकर को भी लगा क्योंकि वह इस सीट से 2014 और 2019 में अविभाजित शिवसेना के टिकट पर जीत का परचम लहरा चुके थे। यह उनके लिए हैट्रिक करने का मौका था लेकिन वह चुनाव हार गए।
इस बार महाराष्ट्र में मनसे की कड़ी हार हुई है। पार्टी को सिर्फ अमित ठाकरे से उम्मीद थी, लेकिन वो भी नतीजे आने के बाद छीन गई। महाराष्ट्र में इस साल संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने एक भी सीट हासिल नहीं कर सकी। निराशाजनक प्रदर्शन के बाद मनसे पर अब मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल का दर्जा और पार्टी का चुनाव चिन्ह ‘रेल इंजन’ छीन जाने का खतरा मंडरा रहा है।
राज ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने 125 सीट पर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवार खड़े किए थे, लेकिन एक भी उम्मीदवार जीत दर्ज नहीं कर सका। इन हारे हुए उम्मीदवारों में राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे भी नाम शामिल हैं।
आपको जानकारी दें कि भारत में किसी भी राजनीतिक दल को अपनी मान्यता एवं उसको मिले चुनाव चिन्ह को बरकरार रखने के लिए मानदंड तय किए गए हैं। इसके चलते किसी भी पार्टी को अपनी मान्यता बनाए रखने के लिए कम से कम एक सीट जीतना जरूरी होता है। यदि दल इन तीनों ही मानदंडों में से एक भी पूरा नहीं कर पाता है तो निर्वाचन आयोग पार्टी की मान्यता रद्द की जा सकती है।
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इस बार मनसे को केवल 1.8 प्रतिशत वोट ही प्राप्त हुए और वह एक भी सीट नहीं जीत पाई। यह आवश्यक मानदंडों से काफी कम है। इस बात को ध्यान में रखते हुए उनसे मनसे की मान्यता रद्द की जा सकती है। इसके साथ ही उनका आरक्षित चुनाव चिन्ह ‘रेलवे इंजन’को छीना जा सकता है।
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने साल 2009 में चुनावी राजनीति में कदम रखा था। 2009 से ऐसा पहली बार हुआ है जब वह विधानसभा चुनाव में एक भी सीट में जीत दर्ज नहीं कर पाई। 2009 में पहली बार चुनाव लड़ने पर इसने 13 सीटें जीती थीं। 2014 और 2019 के विधानसभा चुनाव में पार्टी के पास एक-एक विधायक थे।