(प्रतिकात्मक तस्वीर)
Yavatmal Digras Fails In Swachh Bharat Mission: यवतमाल जिले की दिग्रस पंचायत समिति के अंतर्गत आने वाले गावों में स्वच्छ भारत मिशन योजना एक बार फिर सवालों के घेरे में है। राज्य सरकार द्वारा करोड़ों रुपये की निधि खर्च की गई, लेकिन आज भी कई गांवों में नागरिक खुले में शौच करने को मजबूर हैं। यह तस्वीर प्रशासनिक अक्षमता और अधिकारियों की लापरवाही को दर्शाती है।
राज्य सरकार ने खुले में शौच से मुक्त अभियान के तहत ग्रामीण इलाकों में शौचालय निर्माण के लिए भारी रकम दी थी। कई जगहों पर शौचालय बने भी, परंतु उनका उपयोग न होने और रखरखाव की कमी के कारण अब वे अनुपयोगी हो गए हैं।
कई जगहों पर शौचालय अधूरे हैं, जबकि कुछ में पानी और सफाई की व्यवस्था नहीं है। तालुका के कई गांवों में अब भी खुले में शौच की प्रथा जारी है। गांवों में स्वच्छता और स्वास्थ्य की स्थिति चिंताजनक है।
गांवों में बनी समितियां भी सिर्फ कागजों पर सक्रिय हैं, जबकि ज़मीनी स्तर पर कोई असर नहीं दिखता। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि विकास अधिकारियों ने केवल “कागजों पर काम” दिखाया, जबकि वास्तविकता कुछ और ही है।
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जिन गांवों को पहले “खुले में शौच मुक्त” घोषित किया गया था, वहां आज भी महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे खुले में जाने को मजबूर हैं। कुल मिलाकर, तालुका के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ भारत मिशन की करोड़ों रुपये की निधि बर्बाद हो गई है। अब ग्रामीण जनता अधिकारियों से जवाब मांग रही है। आखिर करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद गंदगी और अस्वच्छता बरकरार क्यों है?