थानेदार गोपाल उंबरकर (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Yavatmal Police News: जिस पुलिस थाने को न्याय का सबसे मजबूत आधार माना जाता है, उसी थाने के भीतर यदि एक आदिवासी महिला के साथ जातिगत अपमान, गाली-गलौज और धमकी दी जाए, तो यह केवल एक घटना नहीं बल्कि पूरी व्यवस्था पर करारा तमाचा है। वणी पुलिस थाने में सामने आया यह सनसनीखेज मामला पूरे शहर में आक्रोश और चिंता का कारण बन गया है।
तहसील कार्यालय के सामने चाय की छोटी-सी दुकान लगाकर अपने परिवार का पेट पालने वाली आदिवासी महिला रीना नंदु जुमनाके (40) ने वणी के थानेदार गोपाल उंबरकर पर गंभीर आरोप लगाए हैं। पीड़िता ने इस संबंध में जिला पुलिस अधीक्षक और महाराष्ट्र के आदिवासी विकास मंत्री अशोक उईके को लिखित शिकायत सौंपते हुए न्याय की गुहार लगाई है।
शिकायत के अनुसार, करीब दो माह पहले रीना के बेटे साहिल के साथ रात के समय दूध की गाड़ी से लौटते वक्त एक पुलिस अधिकारी द्वारा कथित रूप से बेरहमी से मारपीट की गई थी। इसी मामले में बयान दर्ज करने के नाम पर 16 दिसंबर की रात करीब 7.30 बजे रीना को वणी पुलिस थाने बुलाया गया। पीड़िता का आरोप है कि बयान के दौरान थानेदार गोपाल उंबरकर वहां पहुंचे और कानून की मर्यादाओं को ताक पर रखते हुए उनके साथ जातिसूचक शब्दों में अपमान जनक व्यवहार किया।
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रीना का कहना है कि थाने के भीतर ही उनके साथ भद्दी गालियां दी गई, चाय की दुकान उजाड़ देने और तहसील कार्यालय के सामने दुकान न लगाने देने की धमकी दी गई। इतना ही नहीं, वर्दी के रौब में धमकी देकर उन्हें डराने और मानसिक रूप से तोड़ने की कोशिश की गई।
पीड़ित महिला रीना जुमनाके ने थानेदार गोपाल उंबरकर के खिलाफ अनुसूचित जाति व जनजाति (अट्रॉसिटी) अधिनियम के तहत अपराध दर्ज कर सख्त कार्रवाई की मांग की है। अब सबकी निगाहें प्रशासन पर टिकी है कि क्या पीड़िता को न्याय मिलेगा, या फिर यह मामला भी सिस्टम की फाइलों में दबकर रह जाएगा।