वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (सौजन्य-नवभारत)
Yavatmal News: बीते छह महीनों में कोयले के उत्पादन में 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी बताई जा रही है, परंतु इस वृद्धि का वास्तविक लाभ मजदूरों या स्थानीय नागरिकों तक नहीं पहुंच पाया है। कंपनी के अनुसार, वर्ष 2025–26 के पहले छह महीनों में 73.58 लाख मेट्रिक टन उत्पादन दर्ज किया गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 8 लाख टन अधिक है।
साथ ही पांच प्रमुख कोयला खदानों में औसतन 16 प्रतिशत उत्पादन वृद्धि का दावा किया गया है। आंकड़ों के हिसाब से यह सफलता प्रतीत होती है, मगर अंदरूनी हालात कुछ और कहानी कहते हैं। मजदूर संगठनों के पदाधिकारियों का आरोप है कि उत्पादन बढ़ाने के दबाव में सुरक्षा मानकों की अनदेखी की जा रही है। कई खदानों में पुराने उपकरणों का इस्तेमाल किया जा रहा है, और नई तकनीकों के बावजूद श्रमिकों को बुनियादी सुरक्षा किट तक उपलब्ध नहीं हैं।
श्रमिकों का कहना है कि “हमसे रिकॉर्ड उत्पादन करवाया जा रहा है, लेकिन स्वास्थ सुविधाएं वहीं की वहीं है। वणी वेकोलि क्षेत्र के ग्रामवासी कोयला धूल, जल प्रदूषण और स्वास्थ समस्याओं से परेशान हैं। उत्पादन बढ़ाने की होड़ में WCL ने पर्यावरणीय मानकों की अनदेखी की है। खदानों के आसपास के जलस्रोत दूषित हो रहे हैं, जिससे गांवों में पीने के पानी की समस्या गहराई है।
स्थानीय ग्रामसभाओं ने कई बार विरोध दर्ज कराया, मगर कंपनी प्रबंधन ने केवल “औपचारिक मीटिंगों” में वादे किए। कोयले के उत्पादन में वृद्धि का दावा सुनने में भले ही विकास की कहानी लगे, मगर ज़मीन पर यह मजदूरों के पसीने और जनता की परेशानियों से भरा सच है। WCL को सिर्फ आंकड़ों की नहीं, इंसानों की भी चिंता करनी होगी, क्योंकि उत्पादन से अधिक मूल्यवान है जीवन और पर्यावरण।
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WCL का मुनाफा तो बढ़ रहा है, परंतु कंपनी के सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) के अंतर्गत किए जाने वाले कार्यों में गिरावट आई है। स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र और रोजगार योजनाओं के लिए तय फंड घटाए जा रहे हैं।ग्रामीणों का कहना है कि “जहाँ कभी हरियाली थी, वहां अब सिर्फ धूल और शोर है। कोल कंपनियां उत्पादन बढ़ाकर सरकार को खुश कर रही हैं, मगर जनता के हिस्से में सिर्फ बीमारी और बेरोज़गारी आई है।
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि WCL के “रिकॉर्ड उत्पादन” के पीछे श्रमिकों के शोषण की कहानी छिपी है। केंद्र सरकार इस मुद्दे पर खामोश हैं क्योंकि कोयला उत्पादन के आँकड़े राजनीतिक रूप से उपयोगी साबित हो रहे हैं। मजदूर संघ ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही सुरक्षा संबंधी मांगे पूरी नही की तो आंदोलन के जरिये आक्रमक रुख अपनाना होगा।