वर्धा न्यूज
Wardha News: वर्धा जिले में मानव-वन्यजीव संघर्ष तथा वन्य प्राणियों द्वारा फसलों का बड़े पैमाने पर नुकसान किया जाता है। इसे ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जन वन विकास योजना लागू की है। इस योजना के अंतर्गत जिले के 718 गांवों के 19,859 किसानों को अनुदान के माध्यम से सौर बाड़ (सोलर फेंसिंग) उपलब्ध कराई जाएगी। लाभार्थियों की सूची को वन विभाग ने मंज़ूरी दी है, ऐसी जानकारी जिले के पालकमंत्री डॉ. पंकज भोयर ने दी।
जिले का बड़ा भूभाग जंगल से घिरा है। कई किसानों की खेत जमीन जंगल से सटी हुई होने के कारण अक्सर वन्य प्राणियों के हमलों में किसानों को गंभीर चोटें आयी हैं या कभी-कभी जान भी जाती है। प्रतिवर्ष ऐसी घटनाओं में बढ़ोत्तरी हो रही है। जंगल से लगे इलाकों में और अन्य स्थानों पर भी वन्य प्राणियों का आतंक बढ़ने से फसलों को भारी नुकसान होता है, जिससे किसानों को बड़े पैमाने पर आर्थिक हानि उठानी पड़ती है।
जंगली सूअर, नीलगाय, हिरण और अन्य जंगली प्राणियों के कारण प्रतिवर्ष होने वाले नुकसान के आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं। किसानों की फसलों का संरक्षण हो सके, इसके लिए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और वन मंत्री गणेश नाईक के प्रयासों से राज्य सरकार ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जन वन विकास योजना लागू की और इस योजना के अंतर्गत किसानों को सौर बाड़ देने का निर्णय 16 सितंबर 2023 को लिया गया।
फसलों की सुरक्षा और मानव–वन्यजीव संघर्ष रोकने के लिए किसानों को सौर ऊर्जा से चलने वाली बाड़ अनुदान पर दी जाएगी। पिछले तीन वर्षों में जिन गांवों में वन्य प्राणियों का सबसे ज्यादा आतंक था, उन्हीं गांवों का चयन इस योजना के अंतर्गत किया गया है। किसानों को सौर बाड़ लगाने के लिए 75 प्रतिशत राशि राज्य सरकार अनुदान के रूप में देगी और शेष 25 प्रश राशि किसानों को स्वयं देनी होगी।
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इस योजना का लाभ लेने के लिए किसानों ने सरकार के पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन किया था। उन आवेदनों की जांच कर स्वीकृति प्रदान की गई है। जिले के वर्धा, आर्वी, कारंजा, तलेगांव, आष्टी, समुद्रपुर, खरांगना, हिंगणी आदि वनपरिक्षेत्रों के लाभार्थियों का चयन योजना में किया गया है।
सौर बाड़ से फसलों के होने वाले नुकसान पर रोक लगेगी। किसानों के लिए सरकार ने अनेक योजनाएं शुरू की हैं। किसानों ने योजनाओं का लाभ लेना चाहिए। सरकार के पोर्टल पर योजनाओं की जानकारी और आवेदन भरने की सुविधा उपलब्ध है। यदि कोई दिक्कत हो तो संबंधित विभाग से संपर्क करें। इसके साथ ही, बोर व्याघ्र परियोजना के अंतर्गत आने वाले मेटहिरजी, येनीदोडका, गरमसूर, उमर-विहरी और मरकसूर इन पांच गांवों को परियोजना के विस्तारित क्षेत्र में शामिल किया गया है। शीघ्र ही इन गांवों के पुनर्वसन की प्रक्रिया शुरू होने वाली है।
– डॉ. पंकज भोयर, पालकमंत्री, वर्धा जिला
वनपरिक्षेत्र | लाभार्थी गांव | लाभार्थी किसान |
---|---|---|
वर्धा | 350 | 6,547 |
आर्वी | 104 | 1,363 |
कारंजा | 51 | 3,960 |
तलेगांव | 64 | 2,096 |
खरांगणा | 16 | 1,835 |
हिंगणी | 80 | 2,630 |
समुद्रपुर | 19 | 328 |
आष्टी | 34 | 1,100 |
कुल | 718 | 19,859 |