खुरसापुर में बाघ का आतंक (सौजन्य-नवभारत)
Tiger Terror: वर्धा जिले के समुद्रपुर तहसील के खुरसापार क्षेत्र में पिछले कुछ महीने से गहरी खामोशी छाई हुई है। इस क्षेत्र में एक बाघिन अपने तीन शावकों के साथ डेरा डाले हुए है। करीब छह महीने पहले उसके चार शावकों में से एक की दुर्घटनावश मौत हो गई थी, जिसके बाद से बाघिन विचलित अवस्था में है और आसपास के जंगलों में लगातार घूम रही है।
बाघिन अपने शावकों के साथ शिकार करते हुए उनकी देखरेख कर रही है। इसी बीच ताड़ोबा जंगल से एक नर बाघ इस इलाके में आया है, जो बाघिन से मेल-जोल बढ़ाने की कोशिश में है। लेकिन बाघिन अपने शावकों की सुरक्षा को लेकर सतर्क है और गुर्राहट के साथ उसे पास आने नहीं दे रही है।
इस समय क्षेत्र में कुल पांच बाघों की मौजूदगी बताई जा रही है, जिससे खेती-किसानी का काम पूरी तरह ठप पड़ गया है।
खेतों में काम करने वाले मजदूर डर के मारे खेतों में नहीं जा रहे हैं। फसल की कटाई तक का काम अटका पड़ा है। रोजाना किसी न किसी पालतू पशु का शिकार हो रहा है। ग्रामीणों की स्थिति बेहद चिंताजनक हो चुकी है। इसी कारण वन विभाग कार्यालय के सामने मोर्चा निकाला और मांग की कि बाघों का बंदोबस्त किया जाए, उन्हें सुरक्षित वातावरण में खेती करने दिया जाए और प्रति एकड़ ₹30 लाख की मुआवजा राशि दी जाए।
अगर जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो आंदोलन की चेतावनी भी ग्रामीणों ने दी है। उपवनसंरक्षक हरविंदर सिंह ने मौके पर पहुंचकर ग्रामीणों को समझाने की कोशिश की। इसके बाद बाघ को पकड़ने की उच्चस्तरीय अनुमति प्राप्त हुई। चंद्रपुर से डॉ। खोब्रागडे और उनकी टीम को बुलाया गया, लेकिन 15 दिन बीत जाने के बावजूद कोई सफलता नहीं मिली।
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अब इस अभियान में नवेगांव-नागझिरा टाइगर रिज़र्व (एनएनटीआर) की टीम को भी शामिल किया गया है, जो शुक्रवार को गिरड पहुंची। इस बात की पुष्टि वन परीक्षेत्र अधिकारी नीलेश गावंडे ने की है। स्थानीय वन अधिकारी और कर्मचारियों की टीम भी मिलकर जंगलों में बाघों की तलाश कर रही है। बाघिन, उसके तीन शावक, पीछे नर बाघ और इस व्याघ्र परिवार के पीछे वन विभाग की टीम–इस प्रकार यह रोमांचक लेकिन चुनौतीपूर्ण अभियान चल रहा है।