बुआई के पूर्व करें बीज प्रक्रिया। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
वर्धा: बुआई के पूर्व जमीन से अथवा बीज से फैलने वाले विभिन्न रोग व कीट प्रादुर्भाव रोकने तथा बीजों की उगाई क्षमता बढ़ाने व पौधों की तेजी से वृद्धि हो, इस दृष्टिकोण से बीजों पर अलग-अलग जैविक व रासायनिक दवाइयों द्वारा बीज प्रक्रिया की जाती है। किसानों ने बीज प्रक्रिया करने के बाद ही बुआई करनी चाहिए, ऐसा आह्वान कृषितज्ञों द्वारा किया जा रहा है। जमीन व बीज के द्वारा फैलने वाले रोगों का प्रादुर्भाव रोका जा सकता है। बीज की उगाई क्षमता बढ़ती है।
पौधे तेजी से बढ़ते हैं। फसल के उत्पादन में वृद्धि होकर आय में वृद्धि होती है। बीज प्रक्रिया के लिए कम खर्च आता है, जिससे यह कीट व रोग नियंत्रण की फायदेमंद पद्धति है। नत्र स्थिरीकरण के लिए सोयाबिन गुट का रायझोबियम 250 ग्राम तथा स्फूद पीघलने वाला जीवाणु 250 ग्राम इस जीवाणु संवर्धक का पैकेट प्रति 10 किलो सोयाबिन बीज में उपयोग करें।
1 लीटर गरम पानी में 125 ग्राम गुंड डालकर मिश्रण तैयार करें। सोयाबिन बीज गीला करें, मिश्रण ठंडा होने के बाद 250 ग्राम जीवाणु संवर्धक डालकर बीज को अच्छी तरह लगाएं। इसके बाद बीज छांव में रखकर स्वच्छ कागज पर सुखाएं। ऐसी बीज प्रक्रिया करने के बाद बीज की बुआई तत्काल करें, इसका पर्यावरण पर विपरीत परिणाम नहीं होगा। जमीन के सेंद्रीय पदार्थों का विघटन कर जमीन सुधारने में निश्चित मदद होती है।
सोयाबिन फसल पर अनेक प्रकार के बुरशीजन्य रोगों से संरक्षण करने के लिए प्रति किलो बीज को 5 ग्राम ट्रायकोडर्मा का उपयोग करें। ट्रायकोडर्मा यह एक प्रकार की बुरशी है, जिसकी वजह से फसल नुकसान नहीं होता। बीज पर रोग फैलने वाले बुरशी को बढ़ने से रोकती है। ट्रायकोडर्मा बीज प्रक्रिया करते समय बीज स्वच्छ फर्श, प्लास्टिक अथवा ताड़पत्री पर पतले थर में फैलाकर ट्रायकोडर्मा गीला कर छिड़काव करें। हल्के हाथों से बिजली पर लगाएं। मात्र ट्रायकोडर्मा का बीज प्रक्रिया के लिए उपयोग करते समय रासायनिक खाद अथवा रासायनिक बुरशीनाशक का साथ में उपयोग न करें।
सोयाबिन फसल पर अनेक प्रकार की बुरशीजन्य रोगों से संरक्षण करने के लिए प्रति किलो बीज में 3 ग्राम थायरम अथवा 2.5 ग्राम कार्बेन्डाझिम का उपयोग करें। सोयाबिन बीज गीला कर 100 मिली पानी का इस्तेमाल कर प्रक्रिया पूर्ण करते समय हाथ में मोजों का उपयोग करें। प्रति 10 किलो बीज को 10 मिली पानी का उपयोग कर बुरशीनाशक का मिश्रण तैयार कर उपयोग में लाने का आह्वान कृषितज्ञों द्वारा किया गया है।