ठाणे विधायक केलकर बैठक (pic credit; social media)
Thane Water Department: ठाणे मनपा के जल विभाग में लंबे समय से ठेका कर्मचारियों का आर्थिक शोषण जारी है। न्यूनतम वेतन भी न मिलने के चलते कर्मचारियों की नाराजगी चरम पर है। इस मामले पर विधायक संजय केलकर ने ठेकेदार को काली सूची में डालने की मांग की है।
खोपट स्थित भाजपा कार्यालय में आयोजित जनसंवाद कार्यक्रम में जल विभाग के लगभग 140 ठेका कर्मचारियों ने विधायक से मुलाकात की और अपने शोषण की शिकायत व्यक्त की। कर्मचारियों का कहना है कि वे पिछले चार वर्षों से मीटर रीडिंग और पानी के बिल वितरित करने जैसे काम कर रहे हैं। मनपा द्वारा दिए गए कार्य आदेश और समझौते के अनुसार उन्हें न्यूनतम वेतन 32 हजार रुपये प्रति माह मिलना चाहिए।
लेकिन कर्मचारियों का आरोप है कि ठेकेदार उन्हें मात्र 12 हजार रुपये ही दे रहा है और बाकी की राशि हड़प रहा है। इस आर्थिक शोषण ने कर्मचारियों के जीवन को कठिन बना दिया है। विधायक केलकर ने इस अवसर पर कहा कि यह स्थिति न केवल कर्मचारियों के लिए अनुचित है, बल्कि यह मनपा और प्रशासन की छवि को भी प्रभावित करती है। उन्होंने ठेकेदार को ब्लैकलिस्ट करने और कर्मचारियों को उनका पूरा वेतन देने की सख्त चेतावनी दी।
विधायक ने कहा कि ठेकेदार को कर्मचारियों का शोषण करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्होंने प्रशासन से मांग की कि तुरंत जांच कर ठेका कर्मचारियों के अधिकार सुनिश्चित किए जाएं। उन्होंने यह भी कहा कि यदि ठेकेदार ने शीघ्रता से न्यूनतम वेतन का भुगतान नहीं किया, तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
कार्यक्रम में कर्मचारियों ने विधायक को बताया कि आर्थिक शोषण के चलते कई परिवार प्रभावित हुए हैं। बच्चों की शिक्षा, घर खर्च और रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करना मुश्किल हो गया है। इस समस्या का समाधान न होने पर कर्मचारियों में भारी रोष है।
विधायक केलकर की इस मांग से प्रशासन और ठेकेदार पर दबाव बढ़ गया है। शहर के लोग और कर्मचारी अब उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार और मनपा प्रशासन कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा करेगी और ठेकेदार को जवाबदेह ठहराएगी।
ठेकेदार द्वारा कर्मचारियों का शोषण लंबे समय से चल रहा है। विधायक केलकर ने इस मामले में कड़ा रुख अपनाया है और कहा कि ऐसे कार्यों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कर्मचारियों को उनका पूरा वेतन समय पर मिलेगा, अन्यथा कड़ी कार्रवाई होगी।
यह मामला ठाणे मनपा के ठेका कर्मचारियों के हक के लिए एक अहम लड़ाई बन गया है और प्रशासन की जवाबदेही पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।