एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस (सौ. सोशल मीडिया )
Thane Municipal Corporation Election: ठाणे महानगरपालिका सहित जिले की अन्य महानगरपालिकाओं के चुनाव महायुति के घटक दलों के खुद के बल पर चुनाव लड़ने की अटकलों के बीच मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने स्पष्ट कर दिया है कि ठाणे महानगरपालिका मे युति बाबत निर्णय राज्य के उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे लेंगे।
फडणवीस ने सेफ गेम खेलते हुए कहा कि यदि शिंदे चाहेंगे तो युति होगी और यदि खुद की ताकत पर मैदान में उतरना चाहेंगे, तो भाजपा अकेले दम पर मैदान में उतरेगी। हालांकि मुख्यमंत्री फडणवीस ने स्पष्ट किया है कि मुंबई महानगर क्षेत्र की महानगरपालिकाओं में से मुंबई सहित 4 में युति होना तय है।
मुख्यमंत्री आवास वर्षों में पत्रकारों से बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि फिलहाल हम सभी चुनाव मोड में हैं। नगर पालिका एवं महानगरपालिका चुनाव विधानसभा चुनाव से भिन्न होता है। कई महानगरपालिकाओं में महाबुति के घटक दल ही ताकतवर हैं।
ऐसे में युति करके चुनाव लड़ना दोनों पार्टियों के लिए नुकसान देय हो सकता है। मुंबई महानगर पालिका में महायुति पूरी ताकत के साथ मैदान में उत्तरेगी लेकिन दूसरी महानगरपालिकाओं में अलग रणनीति अपनाई जाएगी।
ठाणे जिले की महानगर पालिकाओं का चुनाव खुद का ताकत पर लड़ने का दावा भाजपा नेताओं की तरफ से किया जा रहा है। ठाणे में राज्य के उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के वर्चस्व को चुनौती दी जा रही है। इस संदर्भ में सीधे तौर पर पूछे गए सवाल के उत्तर में मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि ठाणे में शिवसेना एवं भाजपा दोनों की ताकत है।
युति के साथ चुनाव मैदान में उतरने से दोनों दलों को लड़ने के लिए कम सीटें मिलेंगी। इस लिए चुनाव लड़ने के इच्छुक पाला बादल सकते हैं। अलग लड़ने से दोनों का फायदा है। लेकिन ठाणे महानगर पालिका में युति करना है या नहीं इसका निर्णय एकनाथ शिंदे लेंगे। शिंदे जैसा कहेंगे उसी अनुरूप मैदान में उतरा जाएगा। ठाणे के भाजपा कार्यकर्ताओं में अकेले चुनाव लड़ने की प्रबल इच्छा है। लेकिन ठाणे में एकनाथ शिंदे का वर्चस्व है।
वर्ष 2017 में ठाणे मनपा के चुनाव हुए थे, जिसमे शिवसेना अपने दम पर मैदान में उतरी थी। 131 सीटों में से 67 पर शिवसेना के नगरसेवक चुने गए थे। उस समय भाजपा के 23 और राकांपा की 34 नगरसेवक निर्वाचित हुए थे।
कभी ठाणे मनपा की सत्ता पर काबिज रहने वाली कांग्रेस पार्टी को सिर्फ तीन सीटें मिली थी। एआईएमआईएम पार्टी के दो और अन्य दलों के दो नगरसेवक चुने गए थे। 1997 के बाद पहली बार ठाणे में शिवसेना का कोई महापौर अपने बूते चुना गया था।
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उस समय इस जीत का श्रेय एकनाथ शिंदे को दिया गया था। हालांकि उसके बाद राज्य की राजनीति में उथल-पुथल मच गई और शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में फूट पड़ गई। कोरोना की वजह से 2017 के बाद मनपा चुनाव नहीं हुए, जिसकी वजह से आगामी मनपा चुनाव को लेकर बहुत अधिक उत्सुकता है।