सोलापुर: आज़ाद भारत में भी गुलामी जैसी प्रथा जिंदा है, इसका चौंकाने वाला उदाहरण महाराष्ट्र के सोलापुर जिले में सामने आया है। प्रतापगढ़ पुलिस ने ‘ऑपरेशन विश्वास’ के तहत बड़ी कार्रवाई करते हुए 53 बंधक आदिवासी मजदूरों को जमींदारों की कैद से मुक्त कराया है। रेस्क्यू किए गए लोगों में 13 महिलाएं, 40 पुरुष और 2 छोटे बच्चे शामिल हैं।
पुलिस जांच में सामने आया है कि इन मजदूरों को दलालों ने रोजगार का लालच देकर मध्यप्रदेश के इंदौर से महाराष्ट्र लाया था। इसके बाद उन्हें अलग-अलग स्थानों पर जमींदारों के यहां बंधक बनाकर रखा गया। मजदूरी मांगने पर मारपीट की जाती थी और कई महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार के आरोप भी सामने आए हैं।
रात 11:30 बजे हुआ पूरे मामले का खुलासा
प्रतापगढ़ के पुलिस अधीक्षक बी. आदित्य ने देर रात प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कार्रवाई की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह ऑपरेशन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक गजेन्द्रसिंह जोधा के मार्गदर्शन में अंजाम दिया गया। थाना घण्टाली के उपनिरीक्षक सोहनलाल के नेतृत्व में पुलिस टीम ने सोलापुर जिले के विभिन्न ठिकानों पर छापेमारी कर सभी मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला।
रेस्क्यू के दौरान यह भी पता चला कि मजदूरों के पास भोजन तक के पैसे नहीं थे। ऐसे में पुलिस ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों के सहयोग से उनके खाने और लौटने की व्यवस्था कराई। इसके बाद सभी 53 मजदूरों को सुरक्षित प्रतापगढ़ लाया गया।
दलालों और जमींदारों पर होगी सख्त कार्रवाई
इस पूरे मामले में घण्टाली थाने में केस दर्ज किया गया है। पुलिस ने स्पष्ट किया है कि मानव तस्करी और बंधुआ मजदूरी जैसे गंभीर अपराधों में शामिल दलालों और जमींदारों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
प्रतापगढ़ पुलिस ने साफ संदेश दिया है कि मजदूरी के नाम पर आदिवासियों को गुलाम बनाने वालों के लिए कोई जगह नहीं है। यह कार्रवाई न केवल कानून की जीत है, बल्कि उन सैकड़ों परिवारों के लिए भी उम्मीद है जो रोज़गार की तलाश में ऐसे जाल में फंस जाते हैं।