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नहीं सुलझाया 36 साल पुराना पुनर्वास-मुआवजे का मुद्दा, चुनाव आते ही नई योजना को दे दी मंजूरी

वैनगंगा-नलगंगा नदी जोड़ो परियोजना की लागत लगभग 87,000 करोड़ रुपये है। इस परियोजना से विदर्भ में किसानों की आत्महत्या से प्रभावित छह जिलों में कृषि भूमि को सिंचाई सुविधा मुहैया कराई जाएगी।

  • By रीना पंवार
Updated On: Nov 02, 2024 | 03:32 PM

(फोटो सोर्स सोशल मीडिया)

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भंडारा : महाराष्ट्र में वैनगंगा-नलगंगा नदी जोड़ो परियोजना को मंजूरी मिलने से किसानों की आत्महत्या से प्रभावित विदर्भ क्षेत्र में सिंचाई व्यवस्था मजबूत होने की उम्मीद बंधी है। लेकिन, इस परियोजना के शुरुआती स्थल भंडारा में रहने वाले लोग गोसीखुर्द राष्ट्रीय सिंचाई परियोजना के पुनर्वास एवं मुआवजे से संबंधित मुद्दे अब तक नहीं सुलझने से निराश हैं। ये लोग पिछले 36 साल से उचित मुआवजे और पुनर्वास का इसंतजार कर रहे हैं।

गोसीखुर्द परियोजना के कारण यहां के लोग काफी परेशान भी हैं। बांध के पास ही रहने वाले एक ग्रामीण राज कपूर मघरी दिगोरे ने कहा कि इस परियोजना ने उनके गांव को परेशानी ही दी है। दिघोरे ने कहा, ” इससे हमारे गांव के नजदीक में पानी आ रहा है जिससे यहां मच्छर और सांप-बिच्छुओं का प्रकोप बढ़ गया है। इससे घरों को भी नुकसान हो रहा है।” ग्रामीणों ने एक बार फिर सरकार से पुनर्वास की मांग की है।

36 साल से मुआवजे और पुनर्वास का इंतजार

बता दें कि गोसीखुर्द परियोजना का काम 1980 के दशक में शुरू हुआ था। महाराष्ट्र परिक्षेत्र नागरिक संघर्ष समिति के अध्यक्ष धनंज्य मुलकलवार ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ” वैनगंगा-नलगंगा परियोजना एक सराहनीय पहल है, लेकिन समस्या यह है कि 1988 में शुरु हुई गोसीखुर्द सिंचाई परियोजना में अब तक किसानों की समस्याएं नहीं सुलझीं। परियोजना के बाद यहां जो गांव बचे हुए हैं वहां के लोगों का पुनर्वास अभी तक पूरा नहीं हुआ है जो कि बहुत जरूरी है।” उन्होंने बताया कि गोसीखुर्द सिंचाई परियोजना से प्रभावित लोगों को पुरानी दर पर मुआवजा दिया गया था। लेकिन परियोजना के क्रियान्वयन में देरी होने से प्रभावित लोगों ने परियोजना के लिए अधिग्रहित अपने गांवों को नहीं छोड़ा और वे वहां सामान्य जिंदगी जीते रहे। नतीजतन भू अधिग्रहण और पुनर्वास का मुद्दा अनसुलझा ही रहा।

गोसीखुर्द बांध का काम नहीं हुआ पूरा

उल्लेखनीय है कि वैनगंगा-नलगंगा नदी जोड़ो परियोजना के तहत भंडारा में वैनगंगा नदी पर गोसीखुर्द बांध से पानी उठाना और उसे बुलढाणा में नलगंगा नदी में मिलाना शामिल है। इस परियोजना के तहत गोदावरी नदी की सहायक वैनगंगा नदी को तापी नदी की सहायक नदी नलगंगा से जोड़ा जाएगा। इससे सूखे से प्रभावित विदर्भ के 6 जिलों को सिंचाई की सुविधा मिलेगी। यहां के ग्रामीणों का कहना है कि गोसीखुर्द परियोजना के कारण विस्थापित लोगों को जमीन का पर्याप्त मुआवजा नहीं मिला। साथ ही काफी संख्या में लोगों के लिए दूसरी जगह पर रहने का इंतजाम भी ठीक से नहीं किया गया। भरवलिया गांव के एक निवासी राजू फुलवंते के मुताबित, सरकार ने अभी भी गोसीखुर्द बांध का काम पूरा नहीं किया है। हम हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी गए लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ है। हमने तय प्रक्रिया का पालन किया लेकिन सरकार ने अभी तक पैसा नहीं दिया।”

यह भी पढ़ें- महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में क्या होगा RSS का रोल, जानें संविधान पर विपक्ष के नैरेटिव का कैसे देंगी जवाब

परियोजना से विदर्भ में भाजपा को मिलेगा फायदा

इसे लेकर कांग्रेस नेता और नागपुर नॉर्थ से विधायक नितिन राऊत ने भी सवाल खड़े किए। राऊत ने कहा कि यह परियोजना जरूर अच्छी है लेकिन एक परियोजना को पूरा नहीं करना और दूसरी योजना लादना, यह प्रदेश के हित में नहीं है। बता दें कि वैनगंगा-नलगंगा नदी जोड़ो परियोजना की लागत लगभग 87,000 करोड़ रुपये है। माना जा रहा है कि राज्य सरकार के इस परियोजना को मंजूरी देने के फैसले से आगामी विधानसभा चुनाव में विदर्भ क्षेत्र में भाजपा को फायदा मिल सकता है। इस परियोजना से विदर्भ में किसानों की आत्महत्या से प्रभावित छह जिलों में 3.7 लाख हेक्टेयर कृषि जमीन को सिंचाई सुविधा मुहैया कराई जाएगी। बता दें कि महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीट के लिए 20 नवंबर को मतदान होगा और 23 नवंबर को नतीजे घोषित किए जाएंगे।

(एजेंसी इनपुट के साथ)

River linking project approved in vidarbha rehabilitation and compensation issue unresolved even after 36 years

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Published On: Nov 02, 2024 | 03:31 PM

Topics:  

  • Bhandara
  • Maharashtra Assembly Elections
  • River Linking Project

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