पंजाबी भाषा पर भड़की मनसे
मुंबई: प्राथमिक स्कूलों में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाने के राज्य सरकार के निर्णय के कारण महाराष्ट्र की राजनीति में घमासान मचा है। राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) और कांग्रेस सहित कई दूसरे संगठन और प्रमुख लोग सरकार के इस निर्णय का विरोध कर रहे हैं। लेकिन, इन सबके बीच भांडुप के एक प्रमुख स्कूल में पंजाबी भाषा की पुस्तक का वितरण किए जाने से हिंदी विवाद में पंजाबी का तड़का लग गया है।
पंजाबी भाषा को लेकर आक्रोश
भांडुप के गुरुनानक स्कूल में बच्चों को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाई के लिए पंजाबी भाषा की पुस्तक के वितरण से आक्रोश भड़क गया। गुस्साए मनसे कार्यकर्ताओं ने स्कूल पहुंचकर पुस्तक वापस लेने की मांग की। मनसे कार्यकर्ताओं का कहना था कि महाराष्ट्र में हिंदी की जबरदस्ती नहीं चलेगी और पंजाबी तो बिलकुल भी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मनसे कार्यकर्ताओं की मनसे स्टाइल में सबक सिखाने की धमकी के बाद स्कूल प्रशासन ने पुस्तक वापस ले ली है।
पुस्तक विक्रेताओं को भी चेतावनी
बताया जा रहा है कि मनसे की ओर से भांडुप के पुस्तक विक्रेताओं को भी यह चेतावनी दी गई है कि कक्षा एक से कक्षा 4 तक की हिंदी की पुस्तकों की बिक्री न करें। अन्यथा ‘मनसे’ सबक सिखाएगी।
गोरेगांव में हिंदी पुस्तकों पर डाला स्याही
प्राथमिक विद्यालयों में हिंदी विषय को अनिवार्य करने के विरोध की पृष्ठभूमि में मनसे गोरेगांव विभाग के अध्यक्ष वीरेंद्र जाधव के नेतृत्व में गोरेगांव पश्चिम, उद्योग नगर स्थित बालभारती (पाठ्यपुस्तक भंडार और वितरण केंद्र – महाराष्ट्र राज्य) में उग्र आंदोलन किया गया। इस दौरान मनसे कार्यकर्ताओं ने पुस्तक भंडार में हिंदी पुस्तकों पर स्याही डाली और वहां मौजूद अधिकारियों-कर्मचारियों को हिंदी पुस्तकों का वितरण नहीं करने को कहा। इतना ही नहीं राज ठाकरे ने महाराष्ट्र के स्कूलों के प्रिंसिपलों के लिए इसी संदर्भ में एक पत्र भी जारी किया था। उक्त पत्र की प्रति जाधव के नेतृत्व में मनसे पदाधिकारियों ने गोरेगांव विधानसभा क्षेत्र के विभिन्न स्कूलों के प्रिंसिपलों को दिया है।