शरद पवार (सोर्स: सोशल मीडिया)
Pune News In Hindi: प्राकृतिक आपदा के समय किसानों की मदद करना केंद्र और राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। इस आपदा में फसल और पशुधन का तो नुकसान हुआ ही है। साथ ही कई जगहों पर जमीन भी बह गई है।
फसल बह जाने से केवल एक साल का नुकसान होता है, लेकिन जमीन बह जाने पर किसान की आजीविका का रास्ता ही स्थायी रूप से बंद हो जाता है। इसलिए केवल पंचनामा कर मुआवजा देना पर्याप्त नहीं होगा।
इस अभूतपूर्व स्थिति में तत्काल राहत के साथ-साथ स्थायी मदद देना आवश्यक है। यह मांग राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने की है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर राज्य सरकार ने इसे गंभीरता से नहीं लिया तो खेती की गंभीर समस्याएं पैदा होगी।
राज्य में पिछले डेढ़ महीने से हो रही अतिवृष्टि ने किसानों की फसल, पशुओं और जमीन का भारी नुकसान किया है। इसे देखते हुए पवार ने किसानों को तात्कालिक और स्थायी राहत देने पर जोर दिया। पुणे में पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की आपदा सहायता योजना मौजूद है और राज्य सरकार को इसका लाभ उठाते हुए तेजी से पंचनामा मुआवजा चाहिए।
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पवार ने कहा कि फसल और पशुधन के साथ-साथ जमीन वह गई है। फसल का नुकसान भरपाई से पूरा हो सकता है, लेकिन जमीन बह जाने से किसान की उत्पादन क्षमता ही समाप्त हो जाती है। इसलिए जमीन बहने पर भी मुआवजा मिलना जरूरी है। अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो कृषि क्षेत्र में गंभीर संकट खड़ा होगा। पंचनामा करते समय किसानों को विश्वास में लेने की आवश्यकता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि पंचनामा केवल कागजों पर न होकर खेतों में जाकर वास्तविकता के आधार पर होना चाहिए। कुछ मंत्री स्वयं खेतों में जाकर स्थिति का आकलन कर रहे हैं, इसे उन्होंने सकारात्मक कदम बताया। पवार ने कहा कि अब ध्यान इस बात पर होना चाहिए कि किसान कैसे खड़ा होगा। तभी यह संकट टलेगा।