पुणे मनपा (सोर्स: सोशल मीडिया)
Pune Property Tax Waiver Scheme: आगामी मनपा चुनावों से पहले राज्य सरकार ने एक बार फिर से संपत्ति कर बकायेदारों के लिए अभय योजना लागू करने की तैयारी कर ली है। पुणे महानगर पालिका प्रशासन ने इस योजना का प्रस्ताव तैयार कर राज्य सरकार को भेज दिया है और उम्मीद जताई जा रही है कि अगले दो-तीन दिनों में इस पर अंतिम निर्णय ले लिया जाएगा।
स्थानीय प्रशासन का मानना है कि यह योजना आचार संहिता लागू होने से पहले ही घोषित की जा सकती है, जिससे जनता को राहत मिल सके। विपक्ष ने इस योजना पर तीखा विरोध जताया है। उनका कहना है कि इसे सीधे तौर पर सत्तारूढ़ महायुति सरकार, विशेष रूप से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को राजनीतिक लाभ पहुंचाने के लिए पेश किया जा रहा है।
पुणे महानगर पालिका प्रशासन का वर्तमान में विभिन्न संपत्तिधारकों पर लगभग 1760 करोड़ रुपये की संपत्ति कर बकाया है। इसमें नए शामिल किए गए 32 गांवों की 2000 करोड़ रुपये, मोबाइल टॉवर कंपनियों की 4250 करोड़ रुपये और पुराने शहर क्षेत्र की लगभग 13,000 करोड़ रुपये की बकाया राशि भी शामिल है।
संपति कर पुणे मनपा की मुख्य आय का स्रोत है। जिसका वार्षिक लक्ष्य 3000 करोड़ रुपये रखा गया है। इस वर्ष की पहली छमाही में 1500 करोड़ रुपये से अधिक की वसूली हुई है, लेकिन अधिकांश बकाया राशि बड़ी व्यावसायिक संस्थाओं और सरकारी कार्यालयों की है।
अभय योजना पुणे में पहले भी वर्ष 2016, 2020, 2021 और 2022 में लागू की जा चुकी है। कोविड-19 महामारी के दौरान यह योजना राहतकारी साबित हुई थी, लेकिन कई बार इसे राजनीतिक उद्देश्य से लागू करने की आलोचना भी हुई। इन योजनाओं के तहत करदाताओं को दंड और ब्याज में 70-80% तक की छूट दी जाती रही है।
सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि बार-बार बकायेदारों को छूट देने से ईमानदार करदाताओं के साथ अन्याय होता है। राज्य सरकार ने हाल ही में नए शामिल किए गए गांवों के बकायेदारों पर कार्रवाई रोकने के आदेश दिए हैं, जिससे वसूली की गति धीमी हो गई है।
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वर्ष 2020-21 में 1,49,686 बकायेदारों ने योजना का लाभ उठाया, इससे पुणे मनपा को 210 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। अगले वर्ष 66,454 करदाताओं ने योजना का लाभ लिया, जिससे 64 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। गौरतलब है कि वर्ष 2020-21 में लाभ लेने वाले 42% और 2021-22 में 67% करदाता दिसंबर 2024 तक फिर से बकायेदार बन गए।
कर विभाग ने 100 बड़े बकायेदारों की सूची तैयार की है, जिन पर जुर्माने सहित 334 करोड़ का बकाया है। अब संपत्ति जब्ती और नीलामी की कार्रवाई की जाएगी। वर्तमान में कुल बकाया लगभग 11,000 करोड़ रुपये है, जिसमें 4000 करोड़ रुपये मोबाइल टावर कंपनियों के हैं।
नागरिकों का कहना है कि जिन संपत्ति धारकों ने पहले इसका लाभ लिया है, उन्हें दोबारा छूट नहीं दी जानी चाहिए। उनसे लिखित प्रतिज्ञा ली जानी चाहिए कि वे भविष्य में फिर बकायेदार नहीं बनेंगे। अन्यथा यह योजना ईमानदार करदाताओं के साथ अन्याय होगा।