प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स: सोशल मीडिया)
Pune Noise Pollution Report: प्रकाश, आनंद और उत्साह का त्योहार दीपावली इस साल पुणेवासियों के लिए ‘ध्वनि प्रदूषण’ की नई घंटी बजा गया है। महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) की प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार इस बार लक्ष्मी पूजन के दिन पुणे शहर में ध्वनि का स्तर पिछले साल की तुलना में काफी बढ़ गया जो स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन सकता है।
नियमानुसार आवासीय क्षेत्रों में दिन के समय ध्वनि की सीमा 55 डेसीबल और रात में 45 डेसीबल है। व्यवसायिक क्षेत्रों के लिए दिन में 65 डेसीबल और रात में 55 डेसीबल की सीमा निर्धारित की गई है, लेकिन इस साल पुणे में दीपावली के दौरान ध्वनि का औसत स्तर इस सीमा से लगभग 10 से 20 डेसीबल अधिक दर्ज किया गया।
एमपीसीबी ने शहर के शिवाजी नगर, कर्वे रोड, सातारा रोड, स्वारगेट, येरवडा, खडकी, शनिवारवाड़ा, लक्ष्मी रोड, सारसबाग और सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय परिसर में दीपावली से पहले और दीपावली के बाद दोनों समय निगरानी की। स्वारगेट (9.3%), खडकी (9%), और कर्वे रोड (5.6%) क्षेत्रों में ध्वनि में सर्वाधिक वृद्धि दर्ज की गई है।
| परिसर | रात में डेसीबल (dB) | 2024 की तुलना में वृद्धि/कमी (%) |
|---|---|---|
| शिवाजीनगर | 75.8 | +1.1 |
| कर्वे रोड | 74.9 | +5.6 |
| सातारा रोड | 75.5 | +0.6 |
| स्वारगेट | 78.9 | +9.3 |
| येरवडा | 74.0 | +3.1 |
| खडकी | 76.4 | +9.0 |
| शनिवारवाड़ा | 75.2 | −0.6 (कमी) |
| लक्ष्मी रोड | 76.5 | +1.4 |
| सारसबाग | 74.2 | −0.5 (कमी) |
| पुणे विद्यापीठ | 69.7 | +2.9 |
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एमपीसीबी के आंकड़ों के अनुसार दिन के समय ध्वनि का औसत स्तर 77.6 डेसीबल, जबकि रात का स्तर 73.3 डेसिबल था। पिछले साल यह स्तर क्रमश: 77.5 और 71 डेसीबल था। यानी दो से तीन डेसीबल की वृद्धि हुई है जिसे तकनीकी रूप से महत्वपूर्ण और चिंताजनक माना जाता है।
कान-नाक-गला विशेषज्ञ डॉ. राहुल तेलंग ने बताया कि ध्वनि प्रदूषण सिर्फ कान को नुकसान नहीं पहुँचाता, बल्कि इसका सीधा असर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर होता है, यदि 70 डेसिबल से अधिक आवाज लगातार बनी रहती है, तो शरीर में स्ट्रेस हार्मोन्स बढ़ते हैं, जिससे मानसिक तनाव, चिड़चिड़ापन, नींद के गंभीर विकार और रक्तचाप बढ़ सकता है। इससे दिल का दौरा पड़ने या उच्च रक्तचाप का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
बाणेर-पाषाण लिंक रोड समिति सचिव रवींद्र सिन्हा ने कहा कि पटाखों के पैकेट पर प्रदूषण पर होने वाले प्रभाव को स्पष्ट रूप से लिखा जाना चाहिए। साथ ही, साइलेंस जोन में पटाखे फोड़ने की अनुमति होनी चाहिए या नहीं। यह नियमावली में स्पष्ट होना चाहिए। आनंद मनाते समय पर्यावरण और शांति का सम्मान करना हमारी जिम्मेदारी है।