पुणे पोर्श कार दुर्घटना मामला (फाइल फोटो)
पुणे: पुणे पोर्श मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। बताया जा रहा है कि कल्याणी नगर पोर्श कार दुर्घटना में शामिल 17 वर्षीय नाबालिग के ही नहीं, बल्कि उसके साथ आए दो दोस्तों के ब्लड सैंपल भी पुणे को सरकारी ससून अस्पताल में बदले गए थे, ताकि यह साबित किया जा सके कि वे नशे में नहीं थे। अभियोजन पक्ष ने कोर्ट में यह दावा किया कि डॉ. हल्नोर ने दुर्घटना के कुछ घंटों बाद कार चला रहे 17 वर्षीय किशोर और उसके दो दोस्तों के नमूने बदल दिए।
सेशन कोर्ट में पुणे पोर्श मामले के छह आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर गुरुवार को सुनवाई हुई। इनमें नाबालिग के माता-पिता विशाल अग्रवाल और शिवानी अग्रवाल, ससून अस्पताल के डॉक्टर अजय तावड़े और डॉक्टर श्रीहरि हल्नोर तथा कथित बिचौलिए अश्पाक मकानदार और अमर गायकवाड़ शामिल हैं।
जमानत याचिकाओं का विरोध करते हुए विशेष अभियोजक शिशिर हिरे ने कहा कि डॉ. हल्नोर ने दुर्घटना के कुछ घंटों बाद कार चला रहे 17 वर्षीय किशोर और उसके दो दोस्तों के ब्लड सैंपल बदल दिए।अभियोजक ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश यू.एम. मुधोलकर को बताया कि उन्होंने अग्रवाल और डॉक्टर तावड़े के निर्देश पर यह काम किया और इसके लिए उन्हें 2.5 लाख रुपये मिले।
उल्लेखनीय है कि बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश के बाद नाबालिग चालक को पर्यवेक्षण गृह से रिहा कर दिया गया है। कोर्ट ने कहा था कि जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड द्वारा रिमांड के आदेश अवैध और अधिकार क्षेत्र के बाहर है।
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जानकारी के लिए बता दें कि बीते मई महीने की 19 तारीख को पुणे के कल्याणी नगर क्षेत्र में नशे की हालत में एक नाबालिग द्वारा चलाई जा रही पोर्श कार ने एक मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी थी, जिसमें मध्य प्रदेश के दो आईटी पेशेवरों की मौत हो गई थी। पुलिस के अनुसार घटना के समय कार को कथित तौर पर नशे की हालत में एक किशोर चला रहा था।
महाराष्ट्र सरकार ने हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों को 10-10 लाख रुपये देने का फैसला किया। इस बात की घोषणा करते हुए सीएम शिंदे ने कहा था कि बच्चों के अचानक माता पिता से दूर होने के दुःख को हम समझते है। इसलिए विशेष तौर पर मुख्यमंत्री राहक कोष से मृतक बच्चे के माता पिता को 10-10 लाख रुपये देने का फैसला किया।