प्रतीकात्मक तस्वीर ( सोर्स: सोशल मीडिया )
PCMC Election Nomination News today: महाराष्ट्र की राजनीति में ‘महायुति’ के दो प्रमुख स्तंभों, भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) के बीच पिंपरी-चिंचवड महानगरपालिका (PCMC) चुनाव के लिए होने वाला गठबंधन आखिरकार टूट गया है।
मंगलवार को नामांकन दाखिल करने की समय-सीमा समाप्त होने से ठीक ढाई घंटे पहले यह चौंकाने वाला घटनाक्रम सामने आया। इस अचानक हुए अलगाव के कारण शिवसेना के उम्मीदवारों को अपना पर्चा भरने के लिए अंतिम क्षणों में भारी भागदौड़ करनी पड़ी।
गठबंधन को लेकर महायुति के घटक दलों के बीच कई दौर की मैराथन बैठकें हुईं। राजनीतिक सूत्रों के अनुसार, शिवसेना ने शुरुआत में 29 सीटों की मांग रखी थी। लंबी बातचीत के बाद शिवसेना का रुख नरम हुआ और वे 16, फिर 13 और अंततः सोमवार की रात केवल 10 सीटों पर भी समझौता करने को तैयार थे।
हालाँकि, भाजपा ने यह कहते हुए हाथ खींच लिए कि उनके कई उम्मीदवार पहले ही नामांकन दाखिल कर चुके हैं। बताया जा रहा है कि वार्ड संख्या 23 और उम्मीदवार संख्या 24 की सीटों पर दोनों दलों के बीच बनी असहमति ही गठबंधन टूटने का मुख्य कारण बनी।
अब भाजपा ने रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले गुट) के साथ हाथ मिलाया है, जिन्हें 5 सीटें दी गई हैं। आरपीआई के उम्मीदवार भाजपा के ‘कमल’ चिन्ह पर चुनाव लड़ेंगे।
इस पूरे घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए सांसद श्रीरंग बारणे ने गहरी निराशा व्यक्त की। उन्होंने कहा, “शिवसेना और भाजपा का गठबंधन पारंपरिक रहा है और मैंने व्यक्तिगत रूप से इसे बचाने की कोशिश की थी।
दोपहर 12:30 बजे तक विधायक शंकर जगताप से चर्चा जारी थी, लेकिन स्थानीय कार्यकर्ताओं की नाराजगी और सीटों के तालमेल की वजह से सहमति नहीं बन सकी।
” बारणे ने यह भी साफ किया कि स्थानीय स्तर पर हुए इस अलगाव का असर राज्य या केंद्र की महायुति सरकार पर नहीं पड़ेगा, लेकिन अब शिवसेना अपने दम पर चुनाव लड़कर पिंपरी-चिंचवड में अपनी ताकत दिखाएगी।
भाजपा और शिवसेना के अलग होने से अब पीसीएमसी के रण में मुकाबला बहुकोणीय हो गया है। जहाँ एक तरफ भाजपा अपने विकास कार्यों और आरपीआई के समर्थन के भरोसे है, वहीं दूसरी तरफ शिंदे की शिवसेना स्थानीय मुद्दों और अपने स्वतंत्र जनाधार को परखने के लिए तैयार है।
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नामांकन पत्रों की जांच के बाद यह स्पष्ट होगा कि कितनी सीटों पर ‘फ्रेंडली फाइट’ होगी और कहाँ एक-दूसरे के वोट कटेंगे। फिलहाल, इस बिखराव ने विपक्षी महाविकास आघाड़ी को नई उम्मीदें दे दी हैं।