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पेड़ों से फोन लटकाकर लाडली बहिन योजना के लिए घंटों धूप में क्यों खड़ी हो रहीं महाराष्ट्र की महिलाएं?

Ladki Bahin Yojana: महाराष्ट्र में लाडली बहिन योजना में आर्थिक मदद के लिए e-KYC की अनिवार्यता ने आदिवासी इलाकों की महिलाओं को मुश्किल में डाल दिया है।

  • By अर्पित शुक्ला
Updated On: Oct 13, 2025 | 03:29 PM

फाइल फोटो (Image- Social Media)

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Maharashtra News: आधे घंटे की चढ़ाई के बाद, दोपहर की तेज़ धूप में ओटीपी के लिए इंतज़ार करती महिलाओं की लंबी कतार… उनकी निगाहें पेड़ से लटके फ़ोन पर टिकी हुई हैं और एक बार सिग्नल मिलने की उम्मीद कर रही हैं। यह कहानी है महाराष्ट्र के नंदुरबार ज़िले के आदिवासी बहुल इलाके की। यहां डिजिटल कल्याण का सपना, नेटवर्क की कमी के कारण पूरा नहीं हो पा रहा है। सैकड़ों लाभार्थी अपनी मासिक लाडकी बहिन योजना के भुगतान के लिए सरकार की अनिवार्य ई-केवाईसी प्रक्रिया पूरी करने की कोशिश में लगे हैं।

धड़गांव तालुका के खारदे खुर्द गांव में महिलाएं सिग्नल पाने के लिए करीब 30 मिनट तक पहाड़ी चढ़ती हैं। भामने समूह ग्राम पंचायत और खारदे खुर्द के 500 से अधिक लाभार्थी धूप में इंतज़ार करते हैं, इस उम्मीद में कि पेड़ पर बंधे उनके फ़ोन पर कोई नेटवर्क आएगा।

एनजीओ ने लगाया कैंप

यह इलाका दो राज्यों के सीमा क्षेत्र में आता है। मोबाइल नेटवर्क कभी गुजरात से तो कभी मध्य प्रदेश से आता है। मोबाइल में नेटवर्क की सफलता दर 5 फीसदी से भी कम है। उलगुलान फाउंडेशन नामक गैर सरकारी संगठन के सह-संस्थापक राकेश पवारा ने बताया कि हमने यहां एक शिविर लगाया है, यह एकमात्र स्थान है जहां मोबाइल डेटा मिलता है। लेकिन अधिकांश समय सत्यापन असफल होता है।

100 में से 5 महिलाओं के मोबाइल में आता है ओटीपी

राज्य सरकार द्वारा ई-केवाईसी अनिवार्य करने के फैसले से दूरदराज के इलाकों में लाभार्थियों को काफी परेशानी हो रही है। वेबसाइटें धीरे-धीरे खुलती हैं, ओटीपी आने में लंबा समय लग जाता है और आधार से जुड़ी सत्यापन प्रक्रिया बार-बार टाइम आउट हो जाती है। साइट पर मौजूद एक वॉलनटिअर ने कहा कि 100 से ज़्यादा महिलाएं प्रयास करती हैं, लेकिन उनमें से केवल पांच या दस ही संपर्क कर पाती हैं।

क्या बोले अजित पवार?

उप-मुख्यमंत्री अजित पवार ने शुक्रवार को दोहराया कि ई-केवाईसी पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। उन्होंने पुणे में संवाददाताओं से कहा कि केवल सत्यापित लाभार्थियों को ही धनराशि मिलेगी। मुझे पता है कि इसमें कठिनाइयां हैं, लेकिन कोई विकल्प नहीं है। जरूरत पड़ने पर समय सीमा बढ़ाई जा सकती है, लेकिन इसे पूरा करना अनिवार्य है। वर्तमान अंतिम तिथि 15 नवंबर है।

यह निर्देश ग्रामीण महाराष्ट्र में बढ़ती निराशा को देखते हुए जारी किया गया है। ओटीपी विफलता, इंटरनेट की खराब स्थिति और तलाकशुदा या मृतक परिवार के सदस्यों से जुड़े मामलों को लेकर भ्रम की स्थिति है। एक एनजीओ कार्यकर्ता ने कहा कि ऐसे मामलों में क्या किया जाए, इस बारे में कोई स्पष्टता नहीं है। ये वास्तविक चिंताएं हैं।

टावर लगे, पर नेटवर्क नहीं

धड़गांव के तहसीलदार ज्ञानेश्वर सपकाले ने समस्याओं को स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि मोबाइल टावर चार-पांच महीने पहले लग गए थे, लेकिन कनेक्टिविटी अभी भी कमजोर है। हमने ऑपरेटरों से इस समस्या का समाधान करने को कहा है। हम कॉमन सर्विस सेंटर और आधार ऑपरेटरों के ज़रिए महिलाओं की सहायता कर रहे हैं।

महिला एवं बाल विकास मंत्री अदिति तटकरे ने हाल ही में घोषणा की कि सितंबर का भुगतान शुरू हो गया है और लाभार्थियों को दो महीने के अंदर ladkibahin.maharashtra.gov.in पर ई-केवाईसी पूरा करने की याद दिलाई। लेकिन उनके सोशल मीडिया पोस्ट पर आए जवाबों से समस्या की गंभीरता पता चलती है। एक यूज़र ने पूछा कि उन महिलाओं का क्या जो पति या पिता की मृत्यु या अलगाव के कारण आधार नहीं रखतीं?

यह भी पढ़ें- रैप सॉन्ग से डर फैलाना पड़ा महंगा, नाशिक पुलिस ने कसी नकेल

पुणे की माया डब्ल्यू ने कहा कि मुझे सितंबर की राशि मिल गई, लेकिन ओटीपी नहीं आया। तटकरे ने भरोसा दिया कि उनका विभाग ओटीपी और डेटा संबंधी समस्याओं को ठीक करने के लिए काम कर रहा है।

Maharashtra nandurbar tribal women climb hills tie phone to tree for ladki bahin yojana

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Published On: Oct 13, 2025 | 03:28 PM

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