आयकर विभाग (AI Generated Photo)
Pune News: विदेशों, विशेष रूप से दुबई में संपत्ति निवेश के बढ़ते रुझान के बीच अब वित्तीय विशेषज्ञों और रियल एस्टेट सलाहकारों ने भारतीय निवेशकों को सतर्कता बरतने की सलाह दी है। हाल ही में आयकर विभाग की पुणे इन्वेस्टीगेशन विंग द्वारा चलाए गए एक बड़े अभियान के बाद विदेशी संपत्ति निवेशों में पारदर्शिता और कानूनी अनुपालन को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं।
विभाग के विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, पिछले दिनों, इसी महीने इनकम टैक्स की पुणे इन्वेस्टिगेशन विंग ने पुणे, ठाणे, मुंबई और गुरुग्राम में समन्वित तलाशी और सर्वे अभियान चलाया। यह कार्रवाई उन लोगों और संस्थाओं पर की गई जो दुबई में अचल संपत्ति की खरीद-बिक्री, ब्रोकरिंग और निवेश के व्यवसाय में संलग्न थे। तलाशी के दौरान इनकम टैक्स अधिकारियों को लगभग 340 दुबई संपत्तियों से संबंधित महत्वपूर्ण डेटा मिला है, जिनकी कुल अनुमानित कीमत 800 करोड़ रुपये बताई गई है।
एक अधिकारी ने बताया कि जांच के दौरान भारी मात्रा में नकदी, डिजिटल सबूत और दस्तावेजी प्रमाण जब्त किए गए हैं, जो अघोषित लेनदेन, ऑन-मनी रिसीट्स और विदेशी संपत्ति निवेशों में अनियमितताओं की ओर संकेत दे रहे हैं। प्रारंभिक जांच से यह भी सामने आया है कि कई भारतीय निवेशकों ने दुबई में अघोषित आय और गैर-बैंकिंग माध्यमों से संपत्तियां खरीदी हैं तथा इन्हें अपनी आयकर रिटर्न में घोषित नहीं किया है।
एक अधिकारी ने स्पष्ट किया कि ब्लैक मनी (अघोषित विदेशी आय और संपत्ति) अधिनियम, 2015 के तहत किसी भी भारतीय निवासी के लिए विदेश में संपत्ति का स्वामित्व होने पर उसका खुलासा आयकर रिटर्न में अनिवार्य है। ऐसा नहीं करने पर कठोर दंड, ब्याज और अभियोजन की कार्रवाई की जा सकती है।
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सूत्रों के मुताबिक दुबई के रियल एस्टेट बाजार में आसान किस्त-आधारित भुगतान योजनाएं और उच्च किराये के रिटर्न भारतीय निवेशकों को आकर्षित कर रहे हैं। ऐसे भुगतान अक्सर विदेशी मुद्रा में होते हैं।
सूत्र ने यह भी दावा कि यदि संबंधित विभागों से अनुमति नहीं ली गई है तो ऐसे भुगतान विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) 1999 और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन माना जा सकता है।
विदेश में संपत्ति खरीदते समय सभी भुगतान अधिकृत बैंकिंग चैनलों के जरिए किए जाने चाहिए। साथ ही, निवेश से संबंधित सभी विवरण विदेशी संपत्ति और विदेशी स्त्रोत आय अनुसूचियों में आयकर रिटर्न के साथ अनिवार्य रूप से दर्ज किए जाने चाहिए, जो कि संबंधित मामलों में नहीं देखी गई।