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पेशवा धरोहर पर संकट, मालेगांव में 300 साल पुराने ‘किला हनुमान’ मंदिर पर बवाल

Nashik News: मालेगांव के प्रसिद्ध 'किल्ला हनुमान' मंदिर की जमीन को बेचने का प्रयास किया जा रहा है। इससे शहर में आक्रोश फैल गया है। स्थानिय लोग पूछ रहे कि मंदिर की जमीन बेचने की हिम्मत कैसे हो सकती है।

  • By सोनाली चावरे
Updated On: Aug 16, 2025 | 04:37 PM

मालेगांव किल्ला हनुमान मंदिर

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Malegaon Killa Hanuman temple: पेशवा के सरदार नारोशंकर राजेबहादर द्वारा निर्मित किले के साथ ही स्थापित, मालेगांव के प्रसिद्ध ‘किल्ला हनुमान’ मंदिर की जमीन को बेचने का प्रयास किया जा रहा है। करीब 300 साल पुराने और हजारों भक्तों की आस्था का केंद्र रहे इस मंदिर की जमीन को खुद सरदार नारोशंकर के वारिसों द्वारा बेचने की कोशिशें शुरू होने से शहर में आक्रोश फैल गया है। इस चौंकाने वाले मामले के सामने आने के बाद मालेगांव में कई सवाल उठाने लगे हैं।

साल 1740 में सरदार नारोशंकर ने मोसम नदी के किनारे एक मिट्टी का किला बनवाया था। उसी समय किले के उत्तर की ओर हनुमान मंदिर का निर्माण किया गया था। किले के पास होने के कारण ही यह मंदिर ‘किल्ला हनुमान’ के नाम से प्रसिद्ध हुआ। इस मंदिर में हनुमानजी की 2 मूर्तियां हैं। समय के साथ, भक्तों ने समय-समय पर मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया। यह मंदिर सर्वेक्षण क्रमांक 106 में कुल 184 वर्ग मीटर क्षेत्र में स्थित है।

300 साल पुराने मंदिर की जमीन को बेचने की कोशिश

मंदिर के एक तरफ ‘भगवंत व्यायामशाला’ और दूसरी तरफ मंदिर की देखरेख करने वाले सेवक के निवास के लिए दी गई जगह है। यह पूरा क्षेत्र कई सालों से इन तीनों के कब्जे और उपयोग में है। इस क्षेत्र के भोगवटदार (उपयोगकर्ता) के रूप में महानगरपालिका का कर और बिजली के बिल भी इन्हीं तीनों के नाम पर हैं।

इसे भी पढ़ें- नासिक में तेज धमाके से मची दहशत, लोगों ने महसूस किए भूकंप जैसे झटके, ओझर HAL ने दी सफाई

नगर भूमापन के 7/12 (जमीन का रिकॉर्ड) के अनुसार, इस पूरे क्षेत्र पर मूल मालिक के रूप में राजेबहादर के चार वारिसों के नाम ‘वडिलाजित मारुती मंदिर’ के रूप में दर्ज हैं। इसी आधार पर राजेबहादर के आज के दो वारिसों ने पिछले अप्रैल महीने में इस जमीन का निपटारा करने के उद्देश्य से कमर खान नसीम खान (मालेगांव) के नाम पर एक ‘जनरल मुख्त्यारपत्र’ (मुख्तारनामा) दिया है।

इसके अनुसार, खान को इस जमीन की खरीद-बिक्री दर्ज करने का पूरा अधिकार मिल गया है। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि इस जमीन को बेचने की कोशिशें शुरू हो गई हैं, जिससे हनुमान भक्तों में भारी आक्रोश है। 300 साल से अधिक पुराने मंदिर की जमीन को इस तरह बेचने की हिम्मत कैसे की जा सकती है, ऐसा गुस्सा व्यक्त किया जा रहा है। साथ ही, मंदिर प्रबंधन ने इस प्रयास को अवैध मानते हुए संबंधित लोगों को वकीलों के माध्यम से नोटिस भेजा है।

मंदिर प्रबंधन के वकील का दावा, सरकार के साथ धोखा

मंदिर प्रबंधन के वकील शिरिष हिरे ने कहा कि कानून के अनुसार, इस मंदिर की जमीन पर मारुतीराया का एक अटल स्थान है। इसलिए किसी को भी उन्हें वहां से विस्थापित करने का अधिकार नहीं है। वास्तव में, मंदिर की जमीन किले की जमीन का ही हिस्सा है। जब सरकार ने संस्थानों की जमीनें अपने कब्जे में लीं, तब किला और उसके आसपास की सभी जमीनें भी सरकार के अधीन आ गईं। उस समय इस मंदिर की जमीन भी कानूनन सरकार के कब्जे में जानी चाहिए थी, लेकिन किसी तकनीकी त्रुटि के कारण ऐसा नहीं हो पाया होगा।

इसीलिए 7/12 रिकॉर्ड पर राजेबहादर और मारुती मंदिर के नाम मालिक के रूप में दिख रहे हैं। इसका दुरुपयोग कर राजेबहादर के वारिस इस जमीन को बेचने की कोशिश कर रहे हैं। इससे पहले भी संबंधित लोगों ने शहर में इस तरह की अन्य जमीनें बेची हैं। यह सरकार के साथ धोखाधड़ी प्रतीत होती है।

दीपक सावळे ने कहा कि  मंदिर के पास 1928 में भगवंत व्यायामशाला शुरू की गई थी। 1952 में व्यायामशाला को एक संस्था के रूप में धर्मार्थ आयुक्त के पास पंजीकृत किया गया था। दिवंगत भगवंतराव राजेबहादर इस संस्था के संस्थापक अध्यक्ष थे। समाज-उन्मुख कार्य करने की राजेबहादर परिवार की विशेष परंपरा रही है। लेकिन जब उनके आज के वारिस साक्षात मंदिर की जमीन बेचने की कोशिश करते दिख रहे हैं, तो इसका मतलब है कि वे अपने पूर्वजों की परंपरा को मिट्टी में मिला रहे हैं।

कानूनी सलाह लेने के बाद हम अपनी अगली भूमिका की घोषणा करेंगे लेकिन हम अपने पूर्वजों द्वारा स्थापित मंदिर को तोड़ने या बेचने के बारे में सपने में भी नहीं सोच सकते, यह निश्चित है.

Peshwa heritage in danger uproar over 300 year old kila hanuman temple in malegaon

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Published On: Aug 16, 2025 | 04:36 PM

Topics:  

  • Maharashtra News
  • Malegaon
  • Nashik
  • Nashik News

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